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बढ़ सकता है दूरसंचार राजस्व की परिभाषा का दायरा, डीओटी कर रहा है समीक्षा

संचार मंत्रालय ने दूरसंचार राजस्व की परिभाषा पर उच्चतम न्यायालय के फैसले की समीक्षा शुरू कर दी है।

Written by: India TV Business Desk
Published on: November 08, 2019 11:26 IST
Telecom Companies- India TV Paisa

Telecom Companies

नयी दिल्ली। संचार मंत्रालय ने दूरसंचार राजस्व की परिभाषा पर उच्चतम न्यायालय के फैसले की समीक्षा शुरू कर दी है। समीक्षा के जरिये मंत्रालय यह पता लगाएगा कि क्या समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) पर परिभाषा किसी भी ऐसी कंपनी पर लागू होती है जो स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल कर रही है और जिसके पास दूरसंचार लाइसेंस है। एक सूत्र ने कहा कि यदि ऐसा होता है तो इस बात की संभावना है कि वैध बकाया राशि बढ़कर तीन लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच जाएगी। 

इस मामले की जानकारी रखने वाले दूरसंचार विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि लाइसेंसिंग विभाग को निर्देश दिया गया है कि वह सावधानी से शीर्ष अदालत के फैसले की समीक्षा कर इस तरह की सभी कंपनियों पर इसके प्रभाव का पता लगाए। सूत्र ने कहा कि दूरसंचार विभाग को इस मामले में किसी निष्कर्ष पर पहुंचने में एक सप्ताह या कुछ और समय लगेगा। उच्चतम न्यायालय ने पिछले महीने सरकार के दूरसंचार राजस्व की गणना के तरीके को उचित ठहराया था। इसी आधार पर लाइसेंसिंग शुल्क और स्पेक्ट्रम प्रयोग शुल्क की गणना की जाती है। 

शुरुआती गणना के अनुसार एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और अन्य दूरसंचार कंपनियों को तीन माह के भीतर सरकार को 1.42 लाख करोड़ रुपए का भुगतान करना पड़ सकता है। लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम प्रयोग शुल्क सहित भारती एयरटेल को 42,000 करोड़ रुपए का बकाया चुकाना पड़ सकता है। वोडाफोन आइडिया को करीब 40,000 करोड़ रुपए और रिलायंस जियो को 14 करोड़ रुपए का भुगतान करना पड़ सकता है। शेष देनदारी सार्वजनिक क्षेत्र की बीएसएनएल और एमटीएनएल तथा कुछ बंद हो चुकी या दिवाला प्रक्रिया वाली कंपनियों पर बनती है। 

हालांकि, अब दूरसंचार विभाग ने इस बात पर विचार विमर्श शुरू कर दिया है कि क्या शीर्ष अदालत का फैसला अन्य ऐसी कंपनियों पर भी लागू हो सकता है जो स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल करती हैं या जिनके पास लाइसेंस है। इस बात पर विचार विमर्श किया जा रहा है कि क्या शुद्ध रूप से चार-पांच दूरसंचार कंपनियों से आगे भी उच्चतम न्यायालय का फैसला लागू हो सकता है

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