नयी दिल्ली: संसद के आगामी सत्र में सरकार के पूर्ण बजट पेश करने की संभावना से जुड़ी खबरों की पृष्ठभूमि में कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार की मंशा ‘संदिग्ध’ है और अगर वह ‘संसदीय परंपराओं का उल्लंघन करते हुए’ ऐसा करती है तो इसका संसद से लेकर सड़क तक पुरजोर विरोध किया जाएगा। पार्टी ने यह भी कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार 2014 मिले जनादेश के अनुसार पांच पूर्ण बजट पेश कर चुकी है और अब वह सिर्फ लेखानुदान पेश कर सकती है।
कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता आनंद शर्मा ने ट्वीट कर कहा, ‘‘लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा सरकार द्वारा पूर्ण बजट प्रस्तुत करना सभी नियमों और स्थापित संसदीय परम्पराओं के खिलाफ है। सरकार का कार्यकाल पांच वर्ष का है जो मई 2019 में समाप्त हो जाएगा। पांच बजट प्रस्तुत करने के बाद, सरकार केवल लेखानुदान पेश कर सकती है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘बजट प्रस्तुत करने के लिए सरकार के लिए सरकार के पास 12 महीने का कार्यकाल शेष होना चाहिए। सरकार का यह फैसला विचित्र व अभूतपूर्व है क्योंकि केवल 3 महीनों का कार्यकाल शेष है। हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि बजट के 75 दिन के अंदर वित्त विधेयक पारित करना होता है।’’
शर्मा ने दावा किया, ‘‘सरकार की मंशा संदिग्ध है। पहले किए गए झूठे वादों के औंधें मुंह गिरने के बाद, इस बजट के जरिए सरकार जनता को गुमराह करने के लिए बड़ी घोषणाएं करना चाहती है। यह संविधान और संसदीय मर्यादाओं के खिलाफ हैं।’’ इस संदर्भ में कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ऐसी खबरें आ रही हैं कि भाजपा नीत राजग सरकार पूर्ण बजट पेश करेगी। अगर ऐसा होता है तो यह सभी संसदीय परंपराओं और प्रक्रियाओं का उल्लंघन होगा। यह 70 साल की परंपरा और संसदीय प्रणाली के साथ खिलवाड़ होगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस मांग करती है कि सरकार संवैधानिक मर्यादा का पालन करे और सिर्फ लेखानुदान पेश करे। अगर वह नहीं मानती है तो संसद के भीतर और बाहर इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा।’’ दरअसल, ऐसी खबरें हैं कि सरकार इस सत्र में पूर्ण बजट पेश कर सकती है जिसमें विभिन्न वर्गों के लिए कई बड़ी घोषणाएं भी हो सकती हैं।