नई दिल्ली। घरेलू यात्री वाहनों (पैसेंजर व्हीकल) की बिक्री वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान 9-10 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी और अगले पांच वित्त वर्षों में यह बढ़कर 9 से 11 प्रतिशत तक होगी। एक अध्ययन में बुधवार को यह बात सामने आई है।
आईसीआरए के अध्ययन के मुताबिक, सातवें वेतन आयोग के लागू होने तथा उद्योगों के वित्त पोषण में बढ़ोतरी होने से वित्त वर्ष 2016-17 की तीसरी तिमाही में नोटबंदी के बावजूद दोपहिया जैसे उपसमूहों में मांग में वृद्धि दर्ज की गई। अध्ययन में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही में यात्री वाहनों की बिक्री में अच्छी तेजी दर्ज की गई।
हालांकि 2017 के जून में जीएसटी लागू होने को लेकर जारी अनिश्चितता के कारण थोक मांग में कमी आई, क्योंकि डीलर टैक्स बढ़ने की आशंका के कारण पुराने स्टॉक खत्म करने में जुटे थे। अध्ययन में कहा गया है कि हालांकि 2017 के जुलाई में मांग में तेजी दर्ज की गई और घरेलू थोक मांग में बढ़ोतरी हुई।
इस अध्ययन में कहा गया है कि यात्री कारों का खंड अर्थव्यवस्था की सेहत का संकेत देने वाला एक प्रमुख खंड है। अध्ययन में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही में निर्यात में दो अंकों की वृद्धि यानी 13.8 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई, जो कुल थोक बिक्री का करीब 20 प्रतिशत है। अध्ययन में कहा गया है लग्जरी वाहनों पर 15 प्रतिशत से 25 प्रतिशत तक का सेस लगाना उद्योग के लिए चुनौती है और इससे मांग प्रभावित हो सकती है।