नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय बाजार में गिरावट के रुख के बीच सोमवार को दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में कम भंडार रहने और मांग बढ़ने से सरसों तेल कीमतों में सुधार देखने को मिला। दूसरी ओर मलेशिया एक्सचेंज के एक प्रतिशत की गिरावट और जाड़े की मांग घटने से पाम एवं पामोलीन तेल कीमतों में गिरावट आई। शिकागो एक्सचेंज में भी दो प्रतिशत की गिरावट के कारण सोयाबीन दाना और सोयाबीन लूज (तिलहन) को छोड़कर सोयाबीन तेल कीमतों में गिरावट आई। बाजार सूत्रों ने बताया कि मध्य प्रदेश में बीज के लिए सोयाबीन के बेहतर दाने की अधिक मांग है। उन्होंने बताया कि बाजार में 50-60 प्रतिशत क्षतिग्रस्त दाने आ रहे हैं इसलिए मध्य प्रदेश में बीज के लिए इसके अच्छे दाने की मांग बढ़ने के साथ सोयाबीन खली की निर्यात एवं घरेलू मांग बढ़ने से सोयाबीन दाना और सोयाबीन लूज (तिलहन) कीमतों में सुधार आया।
वैश्विक स्तर पर पाम तेल की मांग कमजोर है। देश में जाड़े के दिनों में पामतेल की मांग कमजोर होती है। ऊपर से आयात शुल्क घटने से सीपीओ सस्ता हुआ है। इसके अलावा मलेशिया एक्सचेंज में एक प्रतिशत की गिरावट रहने से पाम एवं पामोलीन तेल कीमतों में गिरावट आई। वैश्विक स्तर पर ‘साफ्ट आयल’ की मांग बढ़ी है वहीं देश में जाड़े के मौसम में सरसों की मांग बढ़ती है। देश के किसानों और सहकारी संस्था नाफेड के पास सरसों का सीमित स्टॉक बचा है। इस कारण नजफगढ़ मंडी में जो सरसों (लूज) पहले 5,600-5,700 रुपये क्विन्टल के भाव पर बिक रही थी वह बढ़कर 5,700-5,800 रुपये प्रति क्विन्टल हो गया। बाजार के जानकारों का मानना है कि सरकार को तेल-तिलहन के मामले में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए एक ठोस नीति बनानी होगी। विदेशों पर निर्भरता कम करते हुए इस बात की ओर ध्यान देना होगा कि किस तरह सस्ते आयातित तेलों के मुकाबले देशी तेलों के महंगे भाव की खाई को कम किया जाये।