नई दिल्ली। टाटा-डोकोमो के बीच जारी 1.17 अरब डॉलर के भुगतान विवाद में स्थिति साफ करते हुए एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि सरकार की इसमें कोई भूमिका नहीं है। किसी की सुविधा के लिए नियमों में बदलाव नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि दो निजी पक्षों के बीच करार पर आधारित मामले में सरकार की भूमिका नहीं है। वित्त मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, सरकार की टाटा-डोकोमो विवाद में कोई भूमिका नहीं है। यह दोनों पक्षों के बीच द्विपक्षीय व्यवस्था है। हम किसी की सुविधा के लिए नियम नहीं बदल सकते।
अधिकारी ने कहा कि यह करार फेमा नियमों का उल्लंघन है। आप दोनों ने करार करने का फैसला किया था। आप अपनी जरूरत के हिसाब से सरकार से नियमों में बदलाव की उम्मीद नहीं कर सकते। इसे उन्हें खुद सुलझाना है। एनटीटी डोकोमो ने 2008 में टाटा टेलीसर्विसेज में 26.5 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण 12,740 करोड़ रुपए (117 रुपए प्रति शेयर) में किया था। इसमें यह समझ बनी थी कि यदि वह उद्यम से निकलती है तो उसे अधिग्रहण मूल्य का कम से कम 50 प्रतिशत दिया जाएगा। जिस समय डोकोमा ने संयुक्त उद्यम से निकलने का फैसला किया तो उसने टाटा से 58 रुपए प्रति शेयर या 7,200 करोड़ रुपए का भुगतान करने को कहा। लेकिन भारतीय समूह ने रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों के तहत 23.34 रुपए प्रति शेयर की पेशकश की।
इस साल जून में लंदन के न्यायाधिकरण एलसीआईए ने टाटा संस को डोकोमो को 1.17 अरब डॉलर का भुगतान करने का निर्देश दिया। भारतीय संयुक्त उद्यम में करार के उल्लंघन के लिए यह निर्देश दिया गया। जापानी कंपनी ने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर न्यायाधिकरण के निर्णय को लागू करवाने की अपील की। टाटा संस ने यह समूची 1.17 अरब डॉलर की राशि दिल्ली उच्च न्यायालय के पंजीयक के पास जमा करा दी है। इस मामले की सुनवाई दिल्ली उच्च न्यायालय में चल रही है।