नई दिल्ली। टैक्स बचाने के लिए लोग क्या कुछ नहीं करते हैं लेकिन इस बार ITR भरते समय सावधान हो जाइए वरना आप मुश्किल में फंस सकते हैं। टैक्स बचाने के लिए कुछ लोग अक्सर इनकम टैक्स फाइल करते समय फर्जी हाउस रेंट स्लिप लगा देते हैं लेकिन अब ऐसा करना आपको भारी पड़ सकता है।
दरअसल, अब ITR भरते समय फर्जी हाउस रेंट स्लिप लगाने वालों को आयकर विभाग (Income Tax Department) का नोटिस मिल सकता है। आयकर विभाग का कहना है कि फर्जी हाउस रेंट रसीद लगाना गलत है और इसको रोकने के लिए पूरा प्लान तैयार कर लिया गया है। फर्जी कागजों का इस्तेमाल करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।
आपको बता दें इनकम टैक्स रिटर्न (ITR Filing) फाइल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई है। आयकर विभाग के मुताबिक देश भर में बड़ी संख्या में लोग टैक्स से बचने के लिए फर्जी हाउस रेंट स्लिप का इस्तेमाल करते हैं, इसी पर अब आयकर विभाग लगाम लगाने जा रहा है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ऐसी गतिविधियों पर इस असेसमेंट ईयर (मूल्यांकन वर्ष) से लगाम लगाने जा रहा है।
आयकर विभाग का कहना है कि इस बार नई तकनीक पर काम किया जा रहा है जिससे फर्जी हाउस रेंट स्लिप लगाने वालों की पहचान करना आसान हो जाएगा। आयकर विभाग की मानें तो इनकम टैक्स के नए आईटीआर फॉर्म और संशोधित नए फार्म-16 को इस तरह से बनाया गया है कि जिसमें गलत और फर्जी डॉक्यूमेंट लगाने वालों की कंप्यूटर आधारित प्रक्रिया से पहचान आसानी से हो जाएगी।
डेटा की इलेक्ट्रॉनिक मैचिंग
अगर किसी भी शख्स का डेटा में कम्प्यूटर जांच के दौरान सही नहीं पाया गया तो फिर आयकर विभाग की ओर से उन्हें नोटिस भेजा जा सकता है। यानी फर्जी रेंट स्लिप लगाने वालों की मुसीबतें बढ़ सकती हैं। आयकर विभाग का कहना है कि नया फार्म-16 से इलेक्ट्रॉनिक मैचिंग के जरिए फॉर्म में दर्ज किए गए आंकड़ों का मिलान करेगा, यानी फॉर्म में भरे आंकड़ों का आयकर विभाग अपने तमाम सोर्स के जरिये वैरीफाई करेगा।
एक्सट्रा अलाउंस की भी देनी होगी डीटेल
नए इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म में आयकर भरने वाले एक्सट्रा अलाउंस की डीटेल्स भर सकेंगे। नए ITR फॉर्म में एक ड्रॉप डाउन कॉलम दिया गया है, जिसमें टैक्सपेयर्स अतिरिक्त भत्तों की डिटेल दर्ज कर सकेंगे। इससे अन्य भत्ते जैसे एचआरए, एलटीए, पेंशन लीव सैलरी अलग रहेंगे। आयकर विभाग का कहना है कि अब तक कुछ लोग घर होने के बावजूद भी रेंट स्लिप का इस्तेमाल करते हैं, जो कि एक गलत कदम है। दरअसल एक लाख के सालाना किराए पर मकान मालिक की पैन डिटेल नहीं देनी होती है, टैक्सपेयर इसी का फायदा उठाते हैं।