नई दिल्ली। विनिवेश विभाग दुश्मनों के शेयरों की बिक्री के लिए जल्द दिशा-निर्देश जारी करेगा। विभाग इससे पहले राजस्व विभाग की प्रवर्तन एजेंसियों के साथ विचार-विमर्श करेगा, जिनके पास जब्त संपत्तियों की नीलामी का अनुभव है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले सप्ताह शत्रु संपत्ति के हिस्से वाले शेयरों की बिक्री की सैद्धान्तिक मंजूरी दी है।
शत्रु संपत्ति से तात्पर्य ऐसी संपत्तियों से हैं, जिन्हें पाकिस्तान और चीन जा चुके लोगों द्वारा छोड़ा गया है और अब वह भारत के नागरिक नहीं हैं। गृह मंत्रालय के तहत भारत शत्रु संपत्ति संरक्षक (सीईपीआई) के संरक्षण में 996 कंपनियों में 20,323 शेयरधारकों के 6.50 करोड़ शेयर हैं। इन 996 कंपनियों में से 588 परिचालन या सक्रिय कंपनियां हैं। इनमें से 139 कंपनियां सूचीबद्ध और 449 गैर-सूचीबद्ध हैं। मौजूदा मूल्य पर ये शेयर करीब 3,000 करोड़ रुपए के बैठते हैं।
सूत्रों ने कहा कि ये दिशा-निर्देशों को राजस्व विभाग की एजेंसियों मसलन प्रवर्तन निदेशालय और कुर्क संपत्तियों की नीलामी का अनुभव रखने वाले अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श में तैयार किया जाएगा। पिछले साल संसद ने शत्रु संपत्ति कानून, 1968 में संशोधन किया था। इससे विभाजन के समय पाकिस्तान या चीन जाने वाले लोगों का कोई उत्तराधिकारी भारत में छोड़ी गई संपत्तियों पर दावेदारी नहीं कर सकेगा।
ये संपत्तियां सीईपीआई के संरक्षण में हैं। 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद 1968 में शत्रु संपत्ति कानून बनाया गया था, जिससे इस तरह की संपत्तियों का नियमन किया जा सके और संरक्षक के अधिकार तय किए जा सकें।
एक अधिकारी ने बताया कि इस प्रक्रिया में अभी समय लगेगा और यह अगले वित्त वर्ष में होने की संभावना है। चालू वित्त वर्ष के लिए सरकार ने 80,000 करोड़ रुपए के विनिवेश का लक्ष्य रखा है। सरकार अब तक पीएसयू शेयरों की बिक्री कर 15,000 करोड़ रुपए जुटा पाई है।