नई दिल्ली। बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) पर बिजली उत्पादक कंपनियों (जेनको) का बकाया इस साल फरवरी में सालाना आधार पर 17 प्रतिशत बढ़कर 1,02,684 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। यह क्षेत्र में जारी दबाव की स्थिति को दर्शाता है। प्राप्ति (पेमेंट रैटिफिकेशन एंड एनालिसिस इन पावर प्रोक्यूरमेंट फॉर ब्रिंगिंग ट्रांसपैरेंसी इन इन्वॉयसिंग ऑफ जेनरेटर्स) पोर्टल के अनुसार डिस्कॉम पर वितरण कंपनियों का बकाया फरवरी, 2020 में 87,888 करोड़ रुपये था। हालांकि, जनवरी, 2021 की तुलना में डिस्कॉम पर बकाया घटा है। जनवरी में बकाया 1,03,116 करोड़ रुपये था। दिसंबर, 2020 में यह बकाया 1,02,676 करोड़ रुपये था।
फरवरी, 2021 में कुल पिछला बकाया 91,549 करोड़ रुपये था, जो एक साल पहले इसी माह में 73,867 करोड़ रुपये था। पिछला बकाया से आशय उस राशि से है जिसका भुगतान 45 दिन की मोहलत की अवधि के बाद भी नहीं किया गया है। बिजली उत्पादक कंपनियां विद्युत आपूर्ति के लिये बिलों के भुगतान को लेकर 45 दिन का समय देती हैं। उसके बाद, बकाया राशि पूर्व बकाया बन जाती है जिस पर उत्पादक कंपनियां दंडस्वरूप ब्याज लगाती हैं। बिजली मंत्री आर के सिंह ने पिछले महीने राज्यसभा में लिखित जवाब में बताया था कि अभी तक बिजली वितरण कंपनियों को नकदी उपलब्ध कराने के लिए 1,35,497 करोड़ रुपये का ऋण मंजूर किया गया है। इसमें से 46,321 करोड़ रुपये जारी कर दिए गए हैं।
आंकड़ों के अनुसार, बिजली उत्पादक कंपनियों के बकाये में राजस्थान, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, झारखंड, हरियाणा और तमिलनाडु की हिस्सेदारी सर्वाधिक है। सार्वजनिक उपक्रमों में एनटीपीसी का अकेले वितरण कंपनियों पर 14,110.26 करोड़ रुपये का बकाया है। दामोदर घाटी निगम का बकाया 6,200.08 करोड़ रुपये, एनएलसी इंडिया का 6,047.48 करोड़ रुपये, एनएचपीसी का 2,538.10 करोड़ रुपये और टीएचडीसी इंडिया का 2,004.66 करोड़ रुपये बकाया है। निजी बिजली उत्पादक कंपनियों में अडाणी पावर का सर्वाधिक 17,178.62 करोड़ रुपये बकाया है। उसके बाद बजाज समूह की कंपनी ललितपुर पावर जनरेशन कंपनी लि.का 4,817.12 करोड़ रुपये, एसईएमबी (सेम्बकार्प) का बकाया 3,178.40 करोड़ रुपये और जीएमआर का बकाया 2,195.12 करोड़ रुपये है।