नई दिल्ली। बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) पर बिजली उत्पादक कंपनियों (जेनको) का बकाया पिछले साल के मुकाबले अक्टूबर में एक साल पहले की तुलना में 3.3 प्रतिशत बढ़कर 1,16,127 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। अक्टूबर, 2020 तक डिस्कॉम पर बिजली वितरण कंपनियों का बकाया 1,12,384 करोड़ रुपये था। पेमेंट रैटिफिकेशन एंड एनालिसिस इन पावर प्रोक्यूरमेंट फॉर ब्रिंगिंग ट्रांसपैरेंसी इन इन्वॉयसिंग ऑफ जेनरेशन (प्राप्ति) पोर्टल से यह जानकारी मिली है। अक्टूबर में डिस्कॉम पर जेनको का बकाया सितंबर की तुलना में बढ़ा है। सितंबर में यह 1,12,815 करोड़ रुपये रहा था। बिजली उत्पादकों तथा डिस्कॉम के बीच बिजली खरीद लेनदेन में पारदर्शिता लाने के लिए प्राप्ति पोर्टल मई, 2018 में शुरू किया गया था।
अक्टूबर, 2021 तक 45 दिन की मियाद या ग्रेस की अवधि के बाद भी डिस्कॉम पर कुल बकाया राशि 97,481 करोड़ रुपये थी। यह एक साल पहले 97,811 करोड़ रुपये थी। पोर्टल के ताजा आंकड़ों के अनुसार, सितंबर में डिस्कॉम पर कुल बकाया 96,316 करोड़ रुपये था। बिजली उत्पादक कंपनियां डिस्कॉम को बेची गई बिजली के बिल का भुगतान करने के लिए 45 दिन का समय देती हैं। उसके बाद यह राशि पुराने बकाये में आ जाती है। ज्यादातर ऐसे मामलों में बिजली उत्पादक दंडात्मक ब्याज वसूलते हैं। बिजली उत्पादक कंपनियों को राहत के लिए केंद्र ने एक अगस्त, 2019 से भुगतान सुरक्षा प्रणाली लागू है। इस व्यवस्था के तहत डिस्कॉम को बिजली आपूर्ति पाने के लिए साख पत्र देना होता है। केंद्र सरकार ने बिजली वितरण कंपनियों को भी कुछ राहत दी है। कोविड-19 महामारी की वजह से डिस्कॉम को भुगतान में देरी के लिए दंडात्मक शुल्क को माफ कर दिया था। सरकार ने मई, 2020 में डिस्कॉम के लिए 90,000 करोड़ रुपये की नकदी डालने की योजना पेश की थी। इसके तहत बिजली वितरण कंपनियां पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन तथा आरईसी लिमिटेड से सस्ता कर्ज ले सकती हैं। बाद में सरकार ने इस पैकेज को बढ़ाकर 1.2 लाख करोड़ रुपये और उसके बाद 1.35 लाख करोड़ रुपये कर दिया।
आंकड़ों से पता चलता है कि राजस्थान, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक,मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, झारखंड और तमिलनाडु की बिजली वितरण कंपनियों का उत्पादक कंपनियों के बकाये में सबसे अधिक हिस्सा है। भुगतान की मियाद की अवधि समाप्त होने के बाद अक्टूबर, 2021 तक डिस्कॉम पर कुल बकाया 97,481 करोड़ रुपये था। इसमें स्वतंत्र बिजली उत्पादकों का हिस्सा 53.25 प्रतिशत है। वहीं, केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम की जेनको का बकाया 26.69 प्रतिशत है। सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों में अकेले एनएलसी को ही डिस्कॉम से 5,047.45 करोड़ रुपये वसूलने हैं। एनटीपीसी का बकाया 3,974.25 करोड़ रुपये, दामोदर घाटी निगम का 2,261.22 करोड़ रुपये है। निजी बिजली उत्पादकों में अडाणी पावर का बकाया 25,717.97 करोड़ रुपये, बजाज समूह की ललितपुर पावर जेनरेशन कंपनी का 3,645.56 करोड़ रुपये है। वहीं गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोतों मसलन सौर और पवन ऊर्जा कंपनियों का बकाया 17,010.44 करोड़ रुपये है।
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