नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को शराब कारोबारी विजय माल्या को अपनी, अपनी पत्नी और अपने बच्चों की समस्त विदेशी संपत्तियों का ब्योरा बैंकों को देने का निर्देश दिया। बैंकों का माल्या की विफल कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस पर 9,000 करोड़ रुपए से अधिक बकाया है। कोर्ट ने आदेश दिया कि सील बंद लिफाफे में माल्या द्वारा दी गई संपत्ति की जानकारी बैंकों के साथ साझा की जाए। इससे पहले विजय माल्या ने सुप्रीम कोर्ट से खुद के एनआरआई का हवाला देते हुए संपत्ति की जानकारी बैंकों को न दिए जाने की अपील की थी।
न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन की पीठ ने बैंकों को कानून के मुताबिक दिए जाने वाले ब्योरे पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया। इसके अलावा कोर्ट ने बेंगलुरु स्थित ऋण वसूली न्यायाधिकरण को भी निर्देश दिया कि मामले को यथासंभव शीघ्र यहां तक कि दो महीने में ही निपटाने की कोशिश करें। माल्या मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि माल्या ने हमारे सवाल का सही से जवाब नहीं दिया जबकि माल्या ने कोर्ट में कहा कि उनका पासपोर्ट रद्द हो चुका है। उनके खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी हुआ है। जैसे ही वह देश में आएंगे, गिरफ्तार कर लिए जाएंगे। उनकी व्यक्तिगत पेशी से मामले का कोई उद्देश्य हल नहीं होगा।
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बैंकों की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि कानून के तहत जो भी कारवाई होगी, माल्या के खिलाफ वह की जाएगी। उन्होंने कहा कि माल्या न्याय व्यवस्था से भाग रहे हैं। अगर कोर्ट उन्हें पेश करने का आदेश देगा तो सरकार ब्रिटेन सरकार से संपर्क करेगी। माल्या का यह विशेषाधिकार नहीं है कि वह विदेशों की संपत्ति का खुलासा न करें। माल्या ने कोर्ट के सवाल का भी सही से जवाब नहीं दिया कि वह कब भारत आ रहे हैं। सुनवाई के दौरान माल्या ने कहा कि वह डिफॉल्टर हैं, लेकिन विलफुल डिफॉल्टर नहीं है। बैंक अपना लोन वापस लेने की बजाये उन्हें जेल में देखने में ज्यादा दिलचस्पी दिखा रहे हैं।