लंदन। भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या ने भारत में प्रत्यर्पण के आदेश के खिलाफ ब्रिटेन की हाईकोर्ट में मुकदमा हारने के बाद कहा कि वह फैसले से निराश हैं, लेकिन अपने वकीलों की सलाह के अनुसार कानूनी उपाए जारी रखेंगे। किंगफिशर एयरलाइंस के पूर्व मालिक ने दोहराया कि उन्होंने भारतीय बैंकों को बकाया ऋण राशि का भुगतान करने की पेशकश की है, लेकिन उस प्रस्ताव को बैंकों ने खारिज कर दिया है।
माल्या ने सोमवार शाम को एक बयान में कहा कि मैं स्वाभाविक रूप से हाईकोर्ट के फैसले से निराश हूं। मैं अपने वकीलों की सलाह के अनुसार आगे भी कानूनी उपाए जारी रखूंगा। उन्होंने कहा कि मैंने बार-बार बैंकों को पूरी राशि चुकाने की पेशकश की है, लेकिन दुख की बात है कि कोई फायदा नहीं हुआ।
हाईकोर्ट में माल्या की अपील खारिज होने के बाद अब उनके पास ब्रिटेन की सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के लिए 14 दिन का समय हैं। माल्या ने चूंकि आगे कानूनी उपायों की तलाश के संकेत दिए हैं, इसलिए ब्रिटेन का गृह विभाग माल्या के भारत को प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शूरू करने से पहले उस अपील के परिणाम का इंतजार करेगा।
माल्या मार्च 2016 से ब्रिटेन में हैं और अप्रैल 2017 से प्रत्यर्पण वारंट पर गिरफ्तारी के बाद जमानत पर हैं। माल्या ने अपने बारे में मीडिया में कही जा रही बातों पर भी निराशा व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि मैं मीडिया में कही जा रही बातों से भी निराश हूं, जिसके मुताबिक मुझे 9,000 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी के लिए भारत में मुकदमे का सामना करना चाहिए। कृपया ध्यान दें कि मेरे और अन्य के खिलाफ आरोप केवल 2009 में आईडीबीआई बैंक से कुल 900 करोड़ रुपए के उधार की तीन किस्तों से संबंधित हैं।
माल्या ने इस बारे में लंदन हाईकोर्ट के आदेश का हवाला भी दिया। माल्या ने हाईकोर्ट में तर्क दिया कि निचली अदालत ने गलत तरीके से उनके प्रत्यर्पण को मंजूरी दी, जबकि साजिश के तहत उनके खिलाफ धोखाधड़ी और धनशोधन का मामला दर्ज किया गया। हालांकि, हाईकोर्ट ने माल्या के तर्कों को खारिज कर दिया।