नई दिल्ली। सरकार का प्रत्यक्ष कर संग्रह वित्त वर्ष 2018- 19 के संशोधित बजट लक्ष्य के मुकाबले 50,000 करोड़ रुपए कम रह सकता है। वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। सरकार ने पिछले वित्त वर्ष के लिए प्रत्यक्ष कर संग्रह के संशोधित लक्ष्य को बढ़ाकर 12 लाख करोड़ रुपए कर दिया था।
प्रत्यक्ष कर संग्रह के लक्ष्य से कम रहने और इसके साथ ही माल एवं सेवाकर (जीएसटी) वसूली भी कम होने का राजकोषीय घाटे की लक्ष्य प्राप्ति पर असर पड़ सकता है। सरकार ने राजकोषीय घाटा जीडीपी के 3.4 प्रतिशत पर रहने का अनुमान लगाया है।
अधिकारी ने कहा कि वित्त वर्ष 2018-19 का प्रत्यक्ष कर संग्रह 11.5 लाख करोड़ रुपए के आसपास रहा है। सरकार को बीते वित्त वर्ष में कंपनियों से अधिक कर मिलने की उम्मीद थी। यही वजह है कि उसने 2018-19 के लिए प्रत्यक्ष कर संग्रह के बजट लक्ष्य को 11.5 लाख करोड़ रुपए से बढ़ाकर संशोधित अनुमान में 12 लाख करोड़ रुपए कर दिया था।
फरवरी में पेश अंतरिम बजट में प्रत्यक्ष कर वसूली के अनुमान को संशोधित किया गया। इसी प्रकार जीएसटी संग्रह के अनुमान को भी संशोधित कर 7.44 लाख करोड़ रुपए से कम करके 6.44 लाख करोड़ रुपए कर दिया गया। प्रत्यक्ष कर संग्रह के साथ ही अप्रत्यक्ष कर में जीएसटी संग्रह के भी संशोधित लक्ष्य से कम रहने का अनुमान व्यक्त किया गया है। उल्लेखनीय है कि जीएसटी परिषद ने 2018-19 के दौरान कई वस्तुओं पर जीएसटी की दर को घटाया है।