नई दिल्ली। कोरोना महामारी का डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन पर काफी बुरा असर देखने को मिला है। वित्त वर्ष 2020-21 में टैक्स कलेक्शन में इससे पिछले साल के मुकाबले 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली है। महामारी के दौरान आय में कटौती और नौकरी छूटने से टैक्स कलेक्शन पर असर देखने को मिला है। हालांकि राहत की बात ये है कि कोरोना संकट पर नियंत्रण के साथ ही टैक्स कलेक्शन में रिकवरी देखने को मिली है।
कितना रहा बीते वर्ष डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2020-21 में वास्तविक डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 9.45 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर था, जबकि बजट अनुमान 13.19 लाख करोड़ रुपये रखा गया था। महामारी को देखते हुए सरकार ने इसमें संशोधन कर इसे 9.05 लाख करोड़ रुपये कर दिया। वहीं इससे पहले साल 2019-20 में डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन इस समय के बजट अनुमान 13.35 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले 10.5 लाख करोड़ रुपये था। साल 2017-18 में वास्तविक डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन बजट अनुमानों से ज्यादा रहा था।
महामारी में नियंत्रण के बाद कलेक्शन में बढ़त
महामारी पर नियंत्रण के साथ ही टैक्स कलेक्शन में तेजी देखने को मिली है। वित्त मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2021-22 में 15 जून तक के आंकड़ों के मुताबिक नेट डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 1,85,871 करोड़ रुपये रहा है जो कि पिछले साल की इसी अवधि के दौरान 96762 करोड़ रुपये था। यानि इस दौरान टैक्स कलेक्शन में 100 प्रतिशत की बढ़त देखने को मिली है। इसमें कॉर्पोरेशन टैक्स 74356 करोड़ रुपये, पर्सनल इनकम टैक्स जिसमें सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स शामिल है, 1,11,043 करोड़ रुपये रहा है। वहीं ग्रॉस डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 2,16,602 करोड़ रुपये रहा है। बीते वित्त वर्ष की इसी अवधि में ये आंकड़ा 1,37,825 करोड़ रहा था। इसमें एडवांस टैक्स 28780 करोड़ रुपये, टीडीएस 1,56,824 करोड़ रुपये, सेल्फ एसेसमेंट टैक्स 15343 करोड़ रुपये, डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स 1086 करोड़ रुपये शामिल है।
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