नई दिल्ली। निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) ने सोमवार को विश्व बैंक के साथ अपनी परिसंपत्ति मुद्रीकरण (असेट मोनेटाइजेशन) योजना के लिए सलाहकार सेवाएं प्राप्त करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। विनिवेश विभाग दीपम को रणनीतिक विनिवेश कार्यक्रम के तहत सेंट्रल पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज (सीपीएसई) की नॉन-कोर परिसंपत्तियों का मोनेटाइजेशन करने की जिम्मेदारी दी गई है।
वित्त मंत्रालय द्वारा मंजूर विश्व बैंक की सलाहकार परियोजना (एडवायजरी प्रोजेक्ट) के तहत भारत में सरकारी परिसंत्तियों के मोनेटाइजेशन का विश्लेषण किया जाएगा। अंतराष्र्ट्रीय बेस्ट प्रैक्टिसेज के मुकाबले सरकारी परिसंपत्तियों के इंस्टीट्यूशनल और बिजनेस मॉडल की बेंचमार्किंग की जाएगी। उम्मीद की जा रही है कि परियोजना से नॉन-कोर असेट मोनेटाइजेशन की प्रक्रिया में तेजी आएगी। साथ ही इन अनयूज्ड या मार्जिनली यूज्ड असेट्स का वैल्यू अनलॉक करने में मदद मिलेगी। ये असेट्स आगे के निवेश और विकास के लिए फाइनेंशियल रिसोर्सेज में भारी बढ़ोतरी कर सकते हैं। सरकार को भविष्य के लिए जरूरी योजनाओं पर खर्च के लिए फंड की जरूरत है। सरकारी खजाने को भरने के लिए सरकार अपनी संपत्तियों के जरिए रकम जुटाने की कोशिश कर रही हैं। विश्व बैंक के साथ करार कर सरकार को इस दिशा में आगे बढ़ने में मदद मिलेगी।
वित्त मंत्रालय द्वारा मंजूर विश्व बैंक की सलाहकार परियोजना (एडवायजरी प्रोजेक्ट) के तहत भारत में सरकारी परिसंत्तियों के मोनेटाइजेशन का विश्लेषण किया जाएगा। अंतराष्र्ट्रीय बेस्ट प्रैक्टिसेज के मुकाबले सरकारी परिसंपत्तियों के इंस्टीट्यूशनल और बिजनेस मॉडल की बेंचमार्किंग की जाएगी।