नयी दिल्ली। वित्तीय समावेश को लेकर सरकारी नीतियों तथा व्यापारियों के बीच बढ़ते डिजिटलीकरण के दम पर 2025 तक भारत में डिजिटल भुगतान बाजार के तीन गुना बढ़कर 7,092 हजार अरब रुपये पर पहुंच जाने का अनुमान है। एक रिपोर्ट में ऐसा कहा गया है। रेडसीर कंसल्टिंग ने एक रिपोर्ट में कहा कि 2019-20 में देश का डिजिटल भुगतान बाजार करीब 2,162 हजार अरब रुपये का रहा। उसने कहा, 'इस समय 16 करोड़ मोबाइल भुगतान उपयोक्ता हैं। इनकी संख्या 2025 तक पांच गुना होकर करीब 80 करोड़ पर पहुंच जाने का अनुमान है। इसे मांग व आपूर्ति पक्ष के विविध कारकों से बढ़ावा मिलेगा।'
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रिपोर्ट के अनुसार, 'मोबाइल भुगतान वित्त वर्ष 2025 तक 7,092 हजार अरब रुपये के कुल डिजिटल भुगतान का लगभग 3.5 प्रतिशत होगा, जो अभी एक प्रतिशत है। अभी मोबाइल भुगतान का इस्तेमाल करने वालों की संख्या 16 करोड़ है, जिनके इस अवधि में बढ़कर करीब 80 करोड़ हो जाने का अनुमान है।' रिपोर्ट के अनुसार, वॉलेट उपयोगकर्ता आधार और भुगतान की आवृत्ति दोनों में निरंतर वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहेंगे। वर्ष 2025 तक वॉलेट की पैठ बढ़ने की उम्मीद है और कम आय छोटे लेन-देन को बढ़ावा देगी।
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कंपनी ने कहा कि डिजिटल भुगतान की वृद्धि के लिये ऑफलाइन व्यापारी उत्तरदायी होंगे। इसके साथ ही असंगठित खुदरा क्षेत्र की पहुंच टिअर-2 स्तर से इतर के शहरों में भी व्यापारियों के बीच डिजिटलीकरण के दम पर बढ़ेगी। कंपनी का मानना है कि कोविड-19 महामारी ने डिजिटलीकरण के लिये उत्प्रेरक का काम किया है। कंपनी के संस्थापक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अनिल कुमार ने कहा, 'डिजिटल भुगतान के लिये कोविड-19 नोटबंदी की तरह का उत्प्रेरक साबित हुआ है।' कंपनी ने कहा कि किराना स्टोर के डिजिटल भुगतान की हिस्सेदारी कोविड-19 के कारण बढ़कर 75 प्रतिशत हो गयी, क्योंकि लोग सुरक्षा के चलते मोबाइल फोन से भुगतान करने को तरजीह देने लगे हैं।
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