नई दिल्ली। वाणिज्य मंत्रालय की जांच इकाई डीजीटीआर (DGTR) चीन, इंडोनेशिया और वियतनाम से आने वाले पॉलिस्टर यार्न पर पांच साल के लिए एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाने की सिफारिश की है। पॉलिस्टर यार्न का उपयोग गारमेंट्स और होम फर्निशिंग के लिए फैब्रिक बनाने में किया जाता है। इस कदम का उद्देश्य इन देशों से होने वाले सस्ते आयात से पॉलिस्टर यार्न बनाने वाली घरेलू कंपनियों को संरक्षण प्रदान करना है।
व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) ने अपनी जांच के निष्कर्ष के बाद शुल्क की सिफारिश की है। जांच में पाया गया है कि इन देशों से आयात होने वाले यार्न को कम कीमत में भारत में लाया जा रहा है, जिससे घरेलू उद्योग बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।
महानिदेशालय द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि चीन, इंडोनेशिया और वियतनाम से निर्मित या वहां से निर्यात किए जाने वाले सभी आयातित उत्पादों पर एंटी डंपिंग ड्यूटी पांच साल के लिए लगाया जाए। पांच साल की यह अवधि भारत सरकार द्वारा इस संबंध में जारी अधिसूचना की दिनांक से लागू होगी।
महानिदेशालय ने 4 डॉलर से लेकर 281 डॉलर प्रति टन तक की ड्यूटी लगाने की सिफारिश की है। वित्त मंत्रालय शुल्क लगाने पर अंतिम फैसला लेगा। महानिदेशालय ने कहा है कि सस्ते आयात को रोकने और घरेलू उद्योग को नुकसान से बचाने के लिए एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाना अनिवार्य है। घरेलू कंपनियों की शिकायत पर डीजीटीआर ने जांच की थी।
एक अन्य अधिसूचना में महानिदेशालय ने चीन से आयात होने वाले एरोमैटिक कम्पाउंड्स के एकेटो एकेटाइल डेरीवेटिव्स पर ड्यूटी लगाने की सिफारिश की है। चीन, इंडोनेशिया और वियतनाम भारत के महत्वपूर्ण व्यापार भागीदार देश हैं।
सस्ते आयात के बढ़ने से अपने घरेलू उद्योग को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए देश एंटी-डंपिंग जांच करते हैं। इसे रोकने के लिए वे विश्व व्यापार संगठन के नियमों के तहत ड्यूटी लगाते हैं। ड्यूटी निष्पक्ष व्यापार प्रथाओं को सुनिश्चित करती है और घरेलू उत्पादकों को विदेशी उत्पादकों और निर्यातकों के बराबर समान अवसर प्रदान करती है।
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