नई दिल्ली। दालों की कीमतों को नियंत्रण मे रखने के लिए केंद्र सरकार ने तुअर दाल के आयात के लाइसेंस की वैधता को 31 दिसंबर 2020 तक बढ़ाने का फैसला लिया है। विदेश व्यापार निदेशालय यानि डीजीएफटी ने आज कहा कि तुअर दाल के आयात के लिए लाइसेंस की वैधता 15 नवंबर से बढ़ाकर 31 दिसंबर की जा रही है, और तुअर के आयात पर आईसीएलसी (Irrevocable Commercial Letter of credit) की कट ऑफ डेट 31 दिसंबर होगी। डीजीएफटी के मुताबिक लाइसेंस पाने वाले आवेदक को सुनिश्चित करना होगा कि तुअर की आयात खेप 31 दिसंबर से पहले भारतीय बंदरगाहों पर पहुंच जाए।
दरअसल बेमौसम हुई बारिश से दालों का उत्पादन घटने की आशंका की वजह से दालों की कीमतों में तेजी देखने को मिली है। देश के कई हिस्सों में तुअर दाल की कीमत 100 रुपये के स्तर के पार पहुंच चुकी है। साल 2015 में दालों की कीमतों में तेज उछाल देखने को मिला था और कीमतें 200 रुपये का स्तर पार पहुंच गई थीं। इस स्थिति से बचने के लिए सरकार ने पहले ही तय कर लिया था कि दालों की सप्लाई को बनाए रखने के लिए आयात बढ़ाया जाएगा।
तुअर की नई फसल की आवक शुरू होने में अभी एक से डेढ़ महीने से ज्यादा का वक्त बाकी है। ऐसे में सरकार आयात के जरिए घरेलू बाजार में दाल की सप्लाई बढ़ाने का मन बना चुकी है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से जारी फसल वर्ष 2020-21 के पहले अग्रिम उत्पादन अनुमान में खरीफ सीजन में तुअर का उत्पादन 40.4 लाख टन होने का आकलन किया गया है जबकि पिछले साल तुअर का उत्पादन 38.3 लाख टन हुआ था। ऐसे में सरकार का मानना है कि दिसंबर के करीब सप्लाई की शुरुआत के साथ दालों की स्थिति में नरमी आ जाएगी।