डीजीसीए ने इन आरोपों को तर्कहीन बताते हुए कहा कि किराया दरों की निगरानी बाजार ताकतों, उपलब्धता और परिस्थितियों के हिसाब से तय होती हैं। अदालत ने इस बारे में याचिका में किए गए दावे के आधार पर नियामक को नोटिस जारी किया था, जिस पर नियामक ने अपनी प्रतिक्रिया में यह बात कही।