नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) जून तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का आंकड़ा निराशाजनक रहने के बावजूद अक्टूबर में द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दरों को यथावत रख सकता है और इसके बजाए बैंकिंग समाधान और तरलता प्रबंधन पर ध्यान दे सकता है। नोमुरा ने अपनी एक रिपोर्ट में यह बात कही है। जापान की वित्तीय सेवा कंपनी नोमुरा ने कहा कि RBI के नजरिए से सकल घरेलू आंकड़ा निराशाजनक है लेकिन मौजूदा नरमी का कारण GST है जो अस्थायी होना चाहिए। व्यापार, परिवहन और निर्माण जैसे नकदी गहन वाले क्षेत्रों में तेजी लौट रही है।
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नोमुरा की रिपोर्ट में कहा गया है कि निजी सेवाओं में सुधार यह बताता है कि GST का प्रभाव कमजोर होने के साथ ग्रोथ में तेजी लौटेगी। नोमुरा ने एक शोध रिपोर्ट में कहा है कि हमारा मानना है कि RBI आने वाली तिमाहियों में बेहतर वृद्धि की उम्मीद करेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि मुद्रास्फीति पर जोर बना रहेगा।
खाद्य कीमतों में तेजी से मुद्रास्फीति में वृद्धि की प्रवृत्ति है। इसके अलावा आवास किराए में भी वृद्धि का अस्थायी प्रभाव है। साथ ही GST का भी शुरुआती मुद्रास्फीतिक प्रभाव है।
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रिपोर्ट के मुताबिक, अगले छह से नौ महीनों में वृद्धि और मुद्रास्फीति दोनों में वृद्धि को देखते हुए हमारा मानना है कि RBI नीतिगत दरों को मौजूदा स्तर पर बरकरार रखेगा और इसके बजाए बैंकिंग समाधान तथा तरलता प्रबंधन पर गौर करेगा। उल्लेखनीय है कि RBI ने अगस्त की शुरुआत में रेपो दर 0.25 प्रतिशत घटाकर 6 प्रतिशत कर दिया जो सात साल का न्यूनतम स्तर है।
देश की आर्थिक वृद्धि दर अप्रैल-जून तिमाही में 5.7 प्रतिशत रही जो तीन साल का न्यूनतम स्तर है। इसका कारण GST के क्रियान्वयन से संबद्ध अनिश्चितता तथा विनिर्माण गतिविधियों में नरमी थी।