नई दिल्ली। एक ओर जहां दुनियाभर में मीठे सॉफ्ट ड्रिंक्स की मांग लगातार घट रही हैं, वहीं इसके उलट भारत में अस्वास्थ्यकारी पेय पदार्थों की मांग लगातार बढ़ रही है। मार्केट रिसर्च फर्म यूरोमॉनिटर के मुताबिक 2015 में कार्बोनेटेड ड्रिंक्स की मांग भारत में 9 फीसदी बढ़ी है, जबकि वैश्विक स्तर पर इसकी डिमांड में केवल 1 फीसदी का इजाफा हुआ है। यूरोमॉनिटर ने 2016 के लिए अनुमान जताया है कि भारत में कार्बोनेटेड ड्रिंक्स की मांग तकरीबन 8.53 फीसदी की दर से बढ़ेगी। अन्य देशों में सॉफ्ट ड्रिंक्स की मांग लगातार घट रही है या नकारात्मक हो रही है।
2015 में सॉफ्ट ड्रिंक्स कैटेगरी, जिसमें कार्बोनेटेड ड्रिंक्स, मीठे जूस, प्री-मेड चाय और कॉफी मिक्स, सोडा वाटर और स्पोर्ट्स व एनर्जी ड्रिंक्स शामिल हैं, की मांग 18 फीसदी बढ़ी है। जबकि इस दौरान इस कैटेगरी का वैश्विक उपभोग केवल 3.8 फीसदी बढ़ा है। बढ़ती खर्च योग्य आय, बढ़ते फास्ट फूड चेन और सॉफ्ट ड्रिंक्स निर्माता कंपनियों की मार्केटिंग रणनीति की वजह से भारत में सॉफ्ट ड्रिंक्स का उपभोग बढ़ रहा है। जल्द ही भारत के सॉफ्ट ड्रिंक्स बाजार में नई कंपनियों के प्रवेश से प्रतियोगिता बढ़ने वाली है। बिसलरी इंटरनेशनल, जिसने थम्सअप और गोल्ड स्पोट जैसे सॉफ्ट ड्रिंक्स ब्रांड को खड़ा किया था, दोबारा सॉफ्ट ड्रिंक्स बाजार में उतरने की तैयारी कर रही है। बिसलरी ने 1993 में थम्सअप, गोल्ड स्पोट, लिम्का, सिट्रा और माजा ब्रांड को कोका-कोला को बेच दिया था। यह समझौता 2008 में समाप्त हो चुका है। यूरोमॉनिटर के मुताबिक भारत में सॉफ्ट ड्रिंक्स सेगमेंट में बिसलरी, कोका-कोला और पेप्सीको बाजार हिस्सेदारी के तौर पर टॉप थ्री कंपनियां हैं।
मध्यम वर्ग के विस्तार और दौड़भाग वाली जीवनशैली के बढ़ने से हाल के वर्षों के दौरान भारतीयों में डायबिटीज जैसी बीमारियों को बढ़ते देखा गया है। वास्तव में, दुनियाभर में सबसे ज्यादा डायबिटीज के मरीज भारत में हैं, इनकी संख्या 3.17 करोड़ है। इसके बाद चीन और अमेरिका का नंबर आता है। सॉफ्ट ड्रिंक्स का बढ़ता उपभोग ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ने की एक वजह है।
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट ने इस साल जुलाई में कहा था कि दुनियाभर में हर साल 184,000 मौतें शुगर ड्रिंक्स की वजह से होती हैं। इनमें 133,000 मौत डायबिटीज की वजह से और 45,000 मौत हार्ट की बीमारियों की वजह से होती हैं। सॉफ्ट ड्रिंक्स के हानिकारक प्रभाव के मद्देनजर ही सरकार ने जीएसटी में सॉफ्ट ड्रिंक्स पर सिन टैक्स लगाने का प्रस्ताव दिया है, हालांकि जीएसटी बिल राज्य सभा में पास न हो पाने की वजह से अटका हुआ है।
Source: Quartzindia.com