नई दिल्ली। महकना और ताजा महसूस करना कभी भी आसान नहीं रहा है। यूरोमोनीटर इंटरनेशनल द्वारा हाल ही में जारी की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में डिओडोरैंट का मार्केट 2011 से 2016 के बीच 177 प्रतिशत की तेज रफ्तार से बढ़ा है।
भारत में, शरीर की दुर्गंध से सभी परिचित हैं क्योंकि यह सर्वव्यापी है। कई सालों तक भारतीय परिवारों में दुर्गंधमुक्त हरने के लिए टैलकम पावडर जैसे पोंड्स और संतूर का इस्तेमाल किया जाता रहा। लेकिन युवा और इच्छुक भारतीय, खर्च योग्य अधिक धन के साथ, डिओडोरैंट की ओर रुख कर रहे हैं। कीमती परफ्यूम की तुलना में डिओडोरैंट एक सस्ता विकल्प भी है। वास्तव में भारत का पुरुष ग्रूमिंग मार्केट में डिओडोरैंट का वर्चस्व है।
बढ़ती मांग को देखते हुए और नीविया, गोदरेज (सिंथोल) और हिंदुस्तान यूनीलिवर (एक्स और डव) से प्रतिस्पर्धा करने के लिए अधिकांश बड़ी कंज्यूमर गुड्स कंपनियों आईटीसी (इंगेज) से लेकर मैरिका (सेट वेट) और इमामी (ही) तक ने पिछले पांच सालों के दौराने महिला और पुरुष दोनों के लिए अपने-अपने ब्रांड बाजार में उतारे हैं।
इतना ही नहीं मध्यम आकार की कंपनियों ने भी इस बाजार में प्रवेश किया है। अहमदाबाद की वीनी कॉस्मेटिक्स, फोग डिओडोरैंट की निर्माता और कोलकाता की मैकनोर, जो वाइल्डस्टोन ब्रांड से बिक्री करती है, इसके उदाहरण हैं। नई आने वाली कंपनियां अपनी मार्केटिंग और विज्ञापन रणनीति से टॉप सेलिंग डिओडोरैंट ब्रांड बन चुकी हैं।
यूरोमोनीटर के मुताबिक शहरी बाजार के बाहर, जहां ग्रोथ 2020 तक ग्रोथ 5 प्रतिशत वार्षिक रहने की उम्मीद है, डिओडोरैंट निर्माताओं को बहुत कुछ करने की जरूरत है। इसलिए कई कंपनियां मास-मार्केट में जाने की तैयारी कर रही हैं। कुछ कंपनियां 100 रुपए से कम कीमत वाली रेंज भी उतारने पर विचार कर रही हैं, ताकि और अधिक लोगों तक इनकी पहुंच आसान बनाई जा सके।