नई दिल्ली। भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ दर पर रिजर्व बैंक के अनुमान से कहीं अधिक चोट पड़ेगी। नोमुरा की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि नकदी संकट की वजह से निकट भविष्य में वृद्धि दर की रफ्तार कहीं अधिक सुस्त पड़ेगी, जो कि अगले साल की पहली तिमाही तक बनी रह सकती है।
जापान की वित्तीय सेवा क्षेत्र की प्रमुख कंपनी ने एक शोध नोट में कहा कि,
हम रिजर्व बैंक के इस विचार से सहमत हैं कि नोटबंदी का असर कुछ समय के लिए होगा। हालांकि, नोटबंदी का असर 2017 की पहली तिमाही तक जाने के मद्देनजर हमारा मानना है कि निकट भविष्य में वृद्धि दर में कहीं अधिक गिरावट आएगी।
- नोमुरा ने कहा कि ऐसे में हमारा अनुमान है कि वृद्धि दर को नुकसान रिजर्व बैंक के अनुमान से कहीं अधिक होगा।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि नवंबर की उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति की गिरावट में नोटबंदी का 0.25 से 0.30 प्रतिशत योगदान रहा है।
- यह रिजर्व बैंक के 0.10 से 0.15 प्रतिशत के अनुमान से अधिक है।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक संकट के बिना ग्रोथ और महंगाई के आंकड़े नरम मौद्रिक नीति का समर्थन करेंगे।
- नोमुरा ने कहा कि रिजर्व बैंक 6 फरवरी को होने वाली मौद्रिक समीक्षा में ब्याज दरों में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर सकता है।
- उसके बाद वह इस मोर्चे पर यथास्थिति कायम रखेगा। अगली मौद्रिक समीक्षा 8 फरवरी को होनी है।
- 7 दिसंबर को हुई मौद्रिक समीक्षा में आरबीआई ने नीतिगत दरों को यथावत रखा था।