नई दिल्ली। 500 और 1000 के नोटों को अमान्य करार दिए जाने के बाद से वैसे हर सेक्टर में कमजोरी देखने को मिल रही है जहां ज्यादातर कारोबार नगद में किए जाते हैं। FMCG, ज्वैलरी, प्लांटेशन और प्लांटेशन प्रोडक्ट, उर्वरक आदि सेक्टर के कारोबार में सुस्ती देखी जा रही है। SBI रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, खपत और भविष्य में GST लागू होने से दीर्घावधि में इन सेक्टरों के संगठित खिलाडि़यों को लाभ होगा।
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रियल एस्टेट, ज्वैलरी और लक्जरी गुड्स सेक्टर पर गहरा होगा असर
SBI रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ज्यादातर सेक्टरों पर Demonetization का प्रतिकूल असर एक सा दो तिमाहियों तक रह सकता है। वहीं रियल एस्टेट, ज्वैलरी और लक्जरी गुड्स सेक्टरों को इससे उबरने में लंबा समय लग सकता है।
रियल एस्टेट सेक्टर की टूटेगी कमर!
- रिपोर्ट के अनुसार, रियल एस्टेट सेक्टर पर विमुद्रीकरण का सबसे गहरा असर होगा।
- इस क्षेत्र में कैश ट्रांजैक्शन का अनुपात सबसे अधिक है।
- SBI रिसर्च का मानना है कि नकदी के इस्तेमाल में सख्ती के कारण इस क्षेत्र में तेजी से कारोबारी गिरावट देखने को मिलेगी।
- इसके परिणामस्वरूप रियल एस्टेट की कीमतें भी तेजी से घटेंगी।
- हालांकि, कीमत घटने और निवेश की मांग घटने से मध्यावधि से दीर्घावधि में एंड यूजर की मांग बढ़ेगी।
तस्वीरों के जरिए समझिए क्या है GST
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एग्रीकल्चरल प्रोडक्ट
- नकदी की कमी से एपीएमसी या तो बंद हो गए हैं या कम क्षमता के साथ काम कर रहे हैं।
- इससे किसानों के हाथों में नकदी काफी कम आ रही है।
- SBI रिसर्च के अनुसार, इसका नकारात्मक असर एग्री प्रोडक्ट सेक्टर और ग्रामीण खपत पर देखने को मिलेगा।
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FMCG
- FMCG कंपनियों का अनुमान है कि नकदी की कमी के कारण अल्पावधि में उनकी बिक्री में कमी आएगी।
- कंपनियां अपने वितरकों को चुनिंदा तौर पर उधार दे रही हैं।
- इस सेक्टर पर ग्रामीण क्षेत्रों से दबाव अधिक है क्योंकि खुदरा विक्रेता ग्राहकों को उधार नहीं दे रहे हैं।
- बड़े विक्रेता जहां पीओएस या डिजिटल पेंमेंट ले रहे हैं वहां छोटे विक्रेता अपने माल निकालने में लगे हुए हैं।
- पिछले दो हफ्तों में बिक्री में काफी कमी आई है।
Demonetization से बैंकों को लाभ
- भारतीय बैंकों को विमुद्रीकरण से फायदा होगा।
- SBI रिसर्च के अनुसार, अमान्य नोट बैंकों में दिसंबर अंत तक स्वीकार किए जाएंगे और बैंकों इस डिपॉजिट से लाभ कमाएंगे।
- NBFC और माइक्रो फाइनेंस कंपनियों ने विमुद्रीकरण के बाद से कर्ज देना लगभग बंद कर दिया है।