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नोटबंदी से काले धन के स्रोतों पर नहीं पड़ेगा खास असर, कैशलेस सोसाइटी बनने में लगेंगे पांच साल

नोटबंदी के कदम से देश में काले धन के पैदा होने पर खास असर नहीं पड़ेगा। भारत जैसे बड़े मुल्क को कैशलेस सोसाइटी बनने में कम से कम पांच साल लगेंगे: एसोचैम

Dharmender Chaudhary
Updated on: December 07, 2016 17:42 IST
एसोचैम: नोटबंदी से काले धन के स्रोतों पर नहीं पड़ेगा खास असर, कैशलेस सोसाइटी बनने में लगेंगे पांच साल- India TV Paisa
एसोचैम: नोटबंदी से काले धन के स्रोतों पर नहीं पड़ेगा खास असर, कैशलेस सोसाइटी बनने में लगेंगे पांच साल

लखनउ। उद्योग मण्डल एसोचैम ने कहा कि केन्द्र सरकार के नोटबंदी के कदम से देश में काले धन के पैदा होने पर खास असर नहीं पड़ेगा। दूसरी ओर भारत जैसे बड़े मुल्क को कैशलेस सोसाइटी बनने में कम से कम पांच साल लगेंगे।

एसोचैम के राष्ट्रीय महासचिव डी. एस. रावत ने कहा कि नोटबंदी के पीछे सोच तो बहुत अच्छी थी लेकिन इसका क्रियान्वयन बेहद खामियों भरा रहा। उन्होंने कहा कि 500 और हजार रुपए के नोटों का चलन बंद किए जाने के बाद पैदा हालात से देश के सकल घरेलू उत्पाद में डेढ़ से दो प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। साथ ही इससे मंदी भी आने का खतरा है।

एसोचैम की मुख्य बातें

  • रियल एस्टेट और चुनावों को काले धन के सबसे बड़े स्रोत बताते हुए कहा कि नोटबंदी से काले धन के सृजन पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।
  • जब तक राजनीतिक वित्त पोषण यानी चंदे को आधिकारिक शक्ल नहीं दी जाएगी, रियल एस्टेट की स्टाम्प ड्यूटी को न्यूनतम नहीं किया जाएगा।
  • पारदर्शी निर्णय नहीं लिए जाएंगे, तब तक काले धन पर लगाम कसना मुमकिन नहीं है।
  • रावत ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से गुजारिश की है कि नकदी की राशनिंग करने के बजाय उसके प्रवाह को जल्द से जल्द बढ़ाया जाए।
  • कर सुधारों को बहुत तेजी से किया जाए और ब्याज दरें जल्द से जल्द कम की जाएं, ताकि लोगों को नोटबंदी का झटका सहन करने में आसानी हो।
  • एसोचैम महासचिव ने प्रधानमंत्री मोदी के कैशलेस सोसाइटी की वकालत किये जाने पर कहा कि भारत जैसा बड़ा देश एकाएक नकदी रहित लेन-देन का अभ्यस्त नहीं हो सकता।
  • ऐसा होने के लिए कम से कम पांच साल लगेंगे।
  • नोटबंदी की वजह से व्यापार के वितरण क्षेत्र यानी मंडियों और उनमें काम करने वाले मजदूरों और कामगारों पर सबसे बुरा असर पड़ा है।
  • बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हो गए हैं।

रावत ने इस मौके पर एसोचैम द्वारा किए गए डिजिटल इंडिया टू रोबोटिक इंडिया विषयक अध्ययन की रिपोर्ट भी जारी की। उन्होंने कहा कि अगले पांच साल के दौरान रोबोटिक्स की वजह से एक करोड़ लोगों के अपनी नौकरी गंवाने का अंदेशा है।

रोबोटिक्स से जा रही है लोगों की नौकरियां

रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक स्तर पर बहुत तेजी से हो रहे प्रौद्योगिकीय विकास की वजह से अगले पांच वर्षों में कृत्रिम इंसानी विकल्प यानी रोबोट एक करोड़ से ज्यादा लोगों की नौकरियां खत्म होने का सबब बन सकते हैं।

  • वैश्विक स्तर पर जिस तरह की औद्योगिक क्रान्ति हो रही है, उससे स्वचालन, रोबोटिक्स, थ्री डी प्रिंटिंग, कृत्रिम बु, जीनोमिक्स के रूप में नुकसानदेह प्रौद्योगिकियां भी सामने आ रही हैं।
  • इनकी वजह से बड़ी संख्या में लोग अपनी नौकरी गंवा रहे हैं।
  • सिर्फ भारत में ही अगले पांच साल के दौरान करीब 10 लाख नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है।
  • रावत ने कहा कि केन्द्र सरकार को स्वचालन को लेकर एक राष्ट्रीय नीति का स्वरूप तैयार करना चाहिए।
  • इसमें शीर्ष स्तर के विषेषग्यों, व्यवसाय जगत, सरकार तथा श्रमिक वर्ग के प्रतिनिधियों की राय को शामिल किया जाना चाहिए।
  • इससे हम इस परिवर्तनकाल को कम से कम तकलीफदेह बनाने के लिए कार्ययोजना बना सकेंगे।

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