लखनऊ। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने आठ नवंबर को लागू की गई नोटबंदी का मंगलवार को बचाव करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने एक बड़े उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए यह फैसला किया, जिसका लक्ष्य व्यवस्था में मौजूद अत्यधिक नकदी का शोधन करना था।
वित्त मंत्री ने कहा कि उच्च मूल्य के नोटों को रद्द करने का फैसला व्यवस्था को नकदी की अधिकता से मुक्त करने के बड़े उद्देश्य को ध्यान में रखकर किया गया था। क्योंकि चाहे वह संगठित अपराध हो, आतंकवाद या नक्सलियों का वित्त पोषण, ये सभी किस्म के गैरकानूनी धंधों और अपराध की जड़ हैं।
यह पूछे जाने पर कि सात चरणों में होनेवाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में नोटबंदी के मुद्दे को वे किस रूप में देखते हैं? जेटली ने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार राष्ट्रीय हित में फैसला लेती है, न कि राजनीतिक लिहाज से।
उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचे पर केंद्र सरकार के ध्यान का अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि इस क्षेत्र के लिए सरकार ने कुल 3.96 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया, जो कांग्रेस के नेतृत्व वाली पिछली सरकार की तुलना में काफी अधिक है।
राज्य में चुनाव प्रचार के लिए आए भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा, “दीर्घ अवधि में वस्तु एवं सेवा कर, नोटबंदी और वित्तीय अनुशासन के लिए उठाए गए अन्य कदमों से देश को मदद मिलेगी।”
कांग्रेस उपाध्यक्ष द्वारा निजी कंपनियों के 1.10 करोड़ रुपये का ऋण माफ करने के आरोप पर जेटली ने कहा कि वे झूठ बोल रहे हैं। उन्होंने कहा, “मैंने संसद में भी यह स्पष्टीकरण दिया है कि 26 मई, 2014 से, जब से राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) की सरकार सत्ता में आई है, कोई ऋण माफ नहीं किया गया है।”