मुंबई। सरकार द्वारा 500 और 1,000 रुपए के नोट को बंद करने से चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर 0.3 से 0.5 प्रतिशत तक घटेगी। केयर रेटिंग्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस कदम से विभिन्न क्षेत्रों में कारोबार प्रभावित होने की आशंका है। साथ ही, चीन में तेज आर्थिक सुधार हो रहे है। लिहाजा भारत के हाथ से दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती इकोनॉमी का तमगा छिन सकता है।
केयर रेटिंग्स की रिपोर्ट के अनुसार इस कदम से सेवा और विनिर्माण क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित होगा। वहीं यह उपाय बैंकिंग क्षेत्र के लिए सकारात्मक है। कृषि क्षेत्र इससे सबसे कम प्रभावित होगा।
2 साल से चीन को पछाड़ रहे हैं हम
- जुलाई में विश्वबैंक ने भी साल 2016-17 में भारतीय अर्थव्यवस्था के 7.6 फीसदी की दर से बढ़ोतरी का अनुमान लगाया था।
- हमारी अर्थव्यस्था ने 2015-16 में भी लगातार दूसरे वर्ष चीन की अर्थव्यवस्था को पछाड़ते हुए 7.6 की दर से वृद्धि की थी।
- तब ऐसा लगा कि हमारा दुनिया में सबसे तेजी से तरक्की करती अर्थव्यवस्था का दावा निकट भविष्य में सही साबित होगा। पर अब इस पर आशंका व्यक्त की जा रही है।
इसलिए होगा असर
आर्थिक जानकारों का मानना है कि नोटबंदी के कारण कुछ समय के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था में ठहराव आ जाएगा। हालांकि इससे टैक्स न देने वाले गैर संस्थागत बिजनेस (जिनका जीडीपी में 40 फीसदी योगदान है) संस्थागत बन सकते हैं। इसलिए हमने 2018 के वित्तीय वर्ष के लिए भी भारत की वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 5.8 फीसदी कर दिया है।
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- कालेधन पर लगाम के मकसद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1,000 का नोट बंद करने की घोषणा की है।
- वहीं सरकार ने इसके स्थान पर 500 और 2,000 का नया नोट पेश किया है।
- क्रेडिट रेटिंग एजेंसी का मानना है कि इस कदम से देश की अर्थव्यवस्था पर काफी अधिक असर होगा।
- विशेष रूप से जीडीपी वृद्धि इससे प्रभावित होगी। विभिन्न क्षेत्रों पर इसका असर पड़ेगा।
- नोटों को बंद करने से पहले केयर ने चालू वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था।
- केयर का मानना है कि इस कदम से जीडीपी वृद्धि दर 0.3 से 0.5 प्रतिशत तक प्रभावित होगी।
- सबसे ज्यादा असर सेवा क्षेत्र पर पड़ेगा। व्यापार, होटल और परिवहन क्षेत्र में असर ज्यादा होगा क्योंकि इन आर्थिक गतिविधियों में नकद लेनदेन अधिक है।
- इसी प्रकार लघु एवं मझोली इकाइयों के समक्ष भी काफी समस्या आएगी, क्योंकि इनमें भुगतान और प्राप्ति ज्यादातर नकदी में ही होती है।