नई दिल्ली। 500 और 1000 रुपए के पुराने नोटों को केंद्र सरकार द्वारा अचानक बंद किए जाने के दो महीने बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अर्थव्यवस्था पर इसके सकारात्मक परिणामों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि नोटबंदी का अर्थव्यवस्था पर इसका तात्कालिक असर होगा लेकिन मध्यावधि और दीर्घावधि में देश का GDP और बढ़ेगा। साथ ही इससे ब्याज दर घटाने में भी मदद मिलेगी।
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नोटबंदी का एक मकसद राजनीतिक फंडिंग प्रणाली को साफ-सुथरा करना भी
- जेटली ने कहा कि एक तरफ जहां कांग्रेस पार्टी का रुख कालेधन पर यथावत था वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगली पीढ़ी के बारे में सोच रहे हैं।
- उन्होंने नोटबंदी के जरिए कर चोरों पर लगाम लगाने के साथ-साथ राजनीतिक फंडिंग प्रणाली को भी साफ-सुथरा बनाने की व्यवस्था की है।
वित्त मंत्री ने कहा
प्रधानमंत्री जहां अगली पीढ़ी के बारे में सोच रहे थे वहीं राहुल गांधी सिर्फ यह सोच रहे थे कि संसद के अगले सत्र में कैसे व्यवधान डाला जाए।
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सिर्फ 3.7 करोड़ लोगों ने दाखिल किया आयकर रिटर्न
- वित्त मंत्री ने कहा कि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर के मामले में भारत बड़े पैमाने पर एक नॉन-कंप्लायंट सोसायटी रहा है।
- इस कारण गरीबी उन्मूलन, राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक विकास जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर होने वाले खर्च से समझौता किया जाता रहा।
- अपने दावे को प्रमाणित करने के लिए उन्होंने कहा कि 2015-16 में 125 करोड़ की जनसंख्या में से सिर्फ 3.7 करोड़ ने आयकर रिटर्न दाखिल किया।
- इनमें से 99 लाख ने अपनी आय 2.5 लाख से कम बताई और कोई टैक्स नहीं दिया।
- सिर्फ 24 लाख आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों ने अपनी आय 10 लाख रुपए से अधिक बताई।