नई दिल्ली। प्राइवेट सेक्टर में भले ही वेतन ज्यादा हों लेकिन काम का बोझ इतना है कि कर्मचारियों की नींद भी पूरी नहीं हो पाती है। उद्योग संगठन एसोचैम की तरफ से जारी की गई एक रिपोर्ट से यह जानकारी निकलकर सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक कार्पोरेट सेक्टर के 56 प्रतिशत यानि आधे से ज्यादा कर्मचारियों को 6 घंटे की भी नींद नहीं मिल पाती है। रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी की तरफ से जो लक्ष्य दिया जाता है उसको पूरा करने के बोझ से कर्मचारियों की नींद पूरी नहीं हो पाती है।
रिपोर्ट के मुताबिक आराम नहीं मिलने की वजह से कार्पोरेट सेक्टर के कर्मचारियों को तनाव और सुगर जैसी बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। कर्मचारियों को दिन में थकावट, मानसिक तनाव और शारिरिक थकावट से गुजरना पड़ता है जिससे उनकी कार्यक्षमता प्रभावित होती है। रिपोर्ट के मुताबिक कर्मचारियों को कम नींद की वजह से कार्पोरेट सेक्टर को सालाना करीब 150 अरब डॉलर का नुकसान होता है।
रिपोर्ट के मुताबिक कार्पोरेट सेक्टर के 30 प्रतिशत कर्मचारी अपने आप को फिट रखने के लिए कोई कसरत नहीं करते हैं जबकि 25 प्रतिशत ऐसे हैं जो हफ्तेभर में करीब एक घंटे की कसरत कर लेते हैं। 24 प्रतिशत कर्मचारी ऐसे हैं जो हफ्तेभर में 1-3 घंटे के बीच कसरत कर लेते हैं और 9 प्रतिशत कर्मचारी हफ्तेभर में 3-6 घंटे की कसरत करते हैं, सिर्फ 5 प्रतिशत कर्मचारी ऐसे हैं जो हफ्तेभर मे 6 घंटे से ज्यादा की कसरत करते हैं।