नई दिल्ली। दिल्ली का ट्रांसपोर्ट सेक्टर बाकी बड़े शहरों से ज्यादा प्रदूषण फैलाता है। एक रिपोर्ट के अनुसार ग्रीनहाउस गैस एमिशन के लिहाज से दिल्ली का ट्रांसपोर्ट कोलकाता से छह गुना, अहमदाबाद से पांच गुना और ग्रेटर मुंबई और चेन्नई के मुकाबले तीन गुना ज्यादा एमिशन पैदा करता है। सेंटर फॉर इकोलॉजिकल साइंस, बैंगलोर की रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली के ट्रांसपोर्ट सेक्टर का जीएचजी एमिशन में 32 फीसदी हिस्सेदारी है। हालांकि, लोक सभा में प्रस्तुत डेटा के मुताबिक यह आंकड़ा 28 फीसदी है।
ट्रांसपोर्ट सेक्टर 1.23 करोड़ टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर फैलाता है एमिशन
दिल्ली के आर्थिक सर्वेक्षण 2014-15 में कहा गया है कि 187 किलोमीटर लंबी मेट्रो रेल नेटवर्क जो कि रोजाना 24 लाख सवारियों को ढोता है। इसके बावजूद पिछले 15 वर्षों के दौरान दिल्ली में प्राइवेट गाड़ियों की संख्या 92 फीसदी बढ़ी है। वहीं, बस और इसमें सवारी करने वालों की संख्या घटी है। दिल्ली का ट्रांसपोर्ट सेक्टर 1.23 करोड़ टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर एमिशन करता है। जबकि ग्रेटर बंगलौर (86.1 लाख टन) और हैदराबाद (78.1 लाख टन) एमिशन पैदा करता है। ट्रांसपोर्ट सेक्टर में मोटर साइकिल, स्कूटर और मोपेड, कार और जीप, टैक्सी, बस, हल्के मोटर वाहन (यात्रियों), हल्के मोटर वाहन (माल), ट्रक और लॉरी, ट्रैक्टर और ट्रेलर शामिल है। चेन्नई, कोलकाता और मुंबई के ट्रासपोर्ट में पानी के जहाजों का एमिशन भी शामिल है।
सात शहरों में सबसे ज्यादा दिल्ली प्रदूषित
दिल्ली में कुल जीएचजी एमिशन 3.86 करोड़ टन CO2 के बराबर है, जिसके कारण यह सात शहरों की लिस्ट में टॉप पर है। ग्रेटर मुंबई (22.78), चेन्नई (22.09), बंगलौर (19.8), कोलकाता (14.81), हैदराबाद (13.73) और अहमदाबाद में यह लेवल 91.2 लाख टन है। हालांकि, गवर्नमेंट एयर क्वालिटी इंडेक्स के अनुसार अहमदाबाद सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर है। दुनिया के टॉप 20 प्रदूषित शहरों की लिस्ट में भारत के 13 शहरों का नाम है। दिल्ली की हवा बीजिंग की हवा से डेढ़ गुना प्रदूषित है।
दिल्ली में सबसे ज्यादा प्रदूषण ट्रक के कारण
पार्टिकुलेट मैटर (पीएम10) के अनुसार भारी वाहन प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं। ट्रक बड़े प्रदूषक हैं। इससे 46 फीसदी पीएम10 और 38 फीसदी नाइट्रोजन पैदा होता है। वहीं, लाइट कमर्शियल व्हीकल्स की पीएम10 में 28 फीसदी और नाइट्रोजन फैलाने में 13 फीसदी हिस्सेदारी है। प्रदूषण को कम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 2,000 सीसी से अधिक इंजन वाली डीजल गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन पर प्रतिबंध लगा दिया है, जबकि 2005 से पुराने ट्रकों की एंट्री को बैन कर दिया है। इसके अलावा ग्रीन टैक्स को दोगुना कर दिया है।