नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने विमान यात्रा करने वालों को एयरलाइनों की लूट से बचाने के लिए देश में हवाई किराए की सीमा तय करने की मांग संबंधी याचिका पर सरकार का जवाब मांगा है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गीता मित्तल और न्यायमूर्ति अनु मल्होत्रा की पीठ ने केंद्रीय नागर विमानन मंत्रालय को नोटिस जारी किया और उससे उसका जवाब मांगा। अदालत को यह बताया गया था कि सरकार इस मुद्दे पर निर्णय लेने के उसके पिछले आदेश का पालन करने में विफल रही है। मामले की अगली सुनवाई 15 सितंबर को होगी।
केंद्र सरकार के वकील ने अदालत में कहा कि हवाई किराया विमानन नियामक नागर विमानन निदेशालय के नियंत्रण के बाहर है। अदालत ने पिछले साल 20 जुलाई को संबंधित अर्जी निस्तारित कर दी थी। मंत्रालय को यह निर्देश दिया था कि उसके सामने जो मुद्दे उठाए गए हैं, उन पर विचार कर वह आठ हफ्ते में कानून के अनुसार उपयुक्त आदेश जारी करे।
वकील अमित साहनी ने यह जनहित याचिका दायर की है जिसमें अदालत से संबंधित प्रशासन को हवाईकिराये की सीमा तय करने तथा निजी एयरलाइनों को हवाई यात्रा के लिए मनमानेढंग से एवं गैर तार्किक ढंग से किराए वसूलने पर रोक लगाने के लिए दिशानिर्देश तय करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है।
पिछले साल हरियाणा में हुए जाट आंदोलन के समय किरायों में उछाल का हवाला देते हुए अर्जी में कहा गया है कि यदि हवाई किराये पर सीमा होती तो एयरलाइनों ने उस समय बहुत ज्यादा किराया नहीं वसूला होता।