नई दिल्ली। टाटा कैमलॉट आवासीय परियोजना के निवेशकों को दिल्ली हाईकोर्ट ने झटका दे दिया है। अदालत ने कंपनी की चंडीगढ़ में सुखना झील के पास जलग्रहण क्षेत्र में आवासीय परियोजना को मंजूरी देने से इनकार कर दिया है। सुखना झील के पास जलग्रहण क्षेत्र के गांव की ग्राम पंचायत ने इस परियोजना को मंजूरी दी थी और पंजाब सरकार ने भी इससे स्वीकार किया था।
प्रधान न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ की पीठ ने कहा कि संबंधित विभागों द्वारा परियोजना को दी गई सभी पर्यावरणीय मंजूरियां रद्द की जाती हैं।
पीठ ने कहा कि अदालत ने भारतीय नक्शा सर्वे के अनुसार संबंधित क्षेत्र का निरीक्षण किया है। यह क्षेत्र सुखना झील के जलग्रहण इलाके में पड़ता है। ऐसे में वहां आवासीय परियोजना को मंजूरी नहीं दी जा सकती। उच्च न्यायालय ने यह आदेश अधिवक्ता आलोक जग्गा की याचिका पर दिया है।
वकील आलोक जग्गा द्वारा याचिका में सुखना झील के पास टाटा की आवासीय परियोजना को विभिन्न विभागों द्वारा दी गई मंजूरियों को रद्द करने की अपील की गई थी।
टाटा 1800 करोड़ रुपए की लागत से 53.39 एकड़ में बनाने पर काम कर रहा है। चंडीगढ़ कैपिटल कॉम्प्लेक्स के पास 19 टावरों में लगभग 2100 फ्लैट बनाने का प्रस्ताव है। टाटा का प्रोजेक्ट सुखना वाइल्ड लाइफ सेंचुरी से लगभग 123 मीटर की दूरी पर है। वहीं सुखना लेक की दूरी महज 1500 मीटर है।