नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने अरुणाचल प्रदेश और असम के दो जिलों में 2G प्रौद्योगिकी लगाने के केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि यह नीतिगत मामला है। जनहित याचिका में पुरानी हो चुकी प्रौद्योगिकी को भारी लागत में खरीदे जाने पर सवाल उठाया गया है। इसमें आरोप लगाया गया है कि यह काम दो कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया।
मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने एनजीओ टेलीकॉम वॉचडॉग की याचिका को खारिज करते हुए सोमवार को कहा कि यह एक नीतिगत फैसला है कि कहां 2G होना चाहिए और कहां 4G।
सरकार इस पर फैसला लेने के लिए बेहतर स्थिति में है। यदि दोनों राज्यों के लोगों को कोई शिकायत है तो वे इसे चुनौती दे सकते हैं। याचिका में आरोप लगाया गया था कि यह फैसला पक्षपातपूर्ण, बिना सोच-विचार के किया गया। यह केंद्र सरकार की डिजिटल इंडिया नीति के भी खिलाफ है।