नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2G स्पेक्ट्रम मामले में सीबीआई की याचिका पर बुधवार को पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा, द्रमुक सांसद कनिमोई और अन्य से जवाब मांगा है। सीबीआई ने इस मामले में विशेष अदालत द्वारा राजा व अन्य को बरी किए जाने के फैसले को चुनौती दी है। न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस पी गर्ग ने इसी तरह का आदेश प्रवर्तन निदेशालय की याचिका पर भी जारी किया। निदेशालय ने 2जी घोटाला मामले से सामने आए मनी लांड्रिंग मामले में इन लोगों को बरी किए जाने को चुनौती दी है।
अदालत ने इन दोनों मामलों में राजा, कनिमोई व अन्य को नोटिस जारी करते हुए उनसे अपने जवाब 25 मई से पहले दाखिल करने को कहा है जबकि वह इस पर आगे सुनवाई करेगा।
इसके साथ ही अदालत ने निदेशालय की ओर से हाजिर हुए अतिरिक्त सोलसिटर जनरल तुषार मेहता की इस अंतरिम याचिका को भी अनुमति दे दी कि धन शोधन मामले में ईडी द्वारा कुर्क की गई संपत्तियों के संबंध में यथास्थिति बनाए रखी जाए। इन संपत्तियों का मूल्य लगभग 223 करोड़ रुपए है। निदेशालय नहीं चाहता कि मनी लांड्रिंग मामले में रिहाई के बाद इस संपत्ति की कुर्की समाप्त कर दी जाए।
अदालत ने यथास्थिति के बारे में एजेंसी की आग्रह को स्वीकार करते हुए उससे यह भी पूछा कि उसे राहत चाहिए थी तो वह इतनी देर से क्यों आई। शुरू में अदालत इच्छुक नहीं थी कि दूसरे पक्ष को सुने बिना ही यथास्थिति का कोई अंतरिम आदेश पारित किया जाए।
ईडी ने 19 मार्च को उच्च न्यायालय का रुख किया और 2जी से जुड़े धन शोधन मामले में सभी आरोपियों की रिहाई के विशेष अदालत के फैसले को चुनौती दी। वहीं सीबीआई ने भी मामले में सभी आरोपियों की रिहाई को कल उच्च न्यायालय में चुनौती दी।
विशेष अदालत ने पिछले साल 21 दिसंबर को सीबीआई और ईडी द्वारा दर्ज कराए गए मामले में राजा, कनिमोई और 17 अन्य को बरी कर दिया था।
ईडी द्वारा दर्ज मामले में विशेष अदालत ने राजा और कनिमोई के अलावा द्रमुक प्रमुख एम करुणानिधि की पत्नी दयालु अम्माल, एसटीपीएल के शाहिद बलवा और विनोद गोयनका, कुसेगांव फ्रूट्स एंड वेजिटेबल्स प्राइवेट लिमिटेड के आसिफ बलवा और राजीव अग्रवाल, फिल्म निर्माता करीम मोरानी, पी अमृतम और कलैग्नार टीवी के निदेशक शरद कुमार को बरी किया था।
ईडी ने अपने आरोपपत्र में कहा था कि स्वान टेलिकॉम प्राइवेट लिमिटेड ने द्रमुक संचालित कलैग्नार टीवी के प्रवर्तकों को 200 करोड़ रुपए दिए थे।
पिछले वर्ष 21 दिसंबर को ही निचली अदालत ने सीबीआई के 2जी मामले में राजा, कनिमोई और पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा, राजा के पूर्व निजी सचिव आर के चंदोलिया, स्वान टेलिकॉम के प्रवर्तकों शाहिद उस्मान बलवा और विनोद गोयनका, यूनिटेक लिमिटेड के प्रबंध निदेशक संजय चंद्रा और अनिल धीरूबाई अंबानी रिलायंस समूह के तीन शीर्ष प्रबंधकों- गौतम दोशी, सुरेंद्र पीपारा और हरि नायर को बरी कर दिया था।
सीबीआई का आरोप था कि 2जी स्पेक्ट्रम के लिए लाइसेंस के आवंटन में अनियमितताओं से सरकारी खजाने को 30,984 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। उच्चतम न्यायालय ने 2 फरवरी 2012 को इन आवंटनों को रद्द कर दिया था।