नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को किशोर बियानी की अगुवाई वाले फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (FRL) की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें अमेजन को सिंगापुर की अदालत के फैसले के बारे में सेबी, सीसीआई को लिखने से मना करने की अपील की गई थी। न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने एफआरएल की दलील को खारिज कर दिया। याचिका में दावा किया गया था कि अमेजन 24,713 करोड़ रुपये के रिलायंस-फ्यूचर सौदे पर आपातकालीन न्यायाधिकरण के फैसले के बारे में अधिकारियों को लिख रही है।
सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण केंद्र (एसआईएसी) ने 25 अक्टूबर के अपने आदेश में अमेजन के पक्ष में फैसला देते हुए फ्यूचर रिटेल लिमिटेड पर कंपनी की परिसंपत्तियों के किसी भी तरह के हस्तांतरण, परिसमापन या किसी करार के तहत दूसरे पक्ष से कोष हासिल करने के लिए प्रतिभूतियां जारी करने पर रोक लगाई है।
मामला पिछले साल अगस्त में फ्यूचर समूह की कंपनी फ्यूचर कूपन्स लिमिटेड में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी का अमेजन द्वारा अधिग्रहण किए जाने और इसी के साथ समूह की प्रमुख कंपनी फ्यूचर रिटेल में पहले हिस्सेदारी खरीदने के अधिकार से जुड़ा है।
फ्यूचर रिटेल में फ्यूचर कूपन्स की भी हिस्सेदारी है। इस संबंध में विवाद तब उत्पन्न हुआ जब फ्यूचर समूह ने करीब 24,000 करोड़ रुपये में अपने खुदरा, भंडारण और लॉजिस्टिक कारोबार को रिलायंस इंडस्ट्रीज को बेचने का समझौता किया।
अमेजन की आपत्ति
अमेजन ने 2019 में फ्यूचर ग्रुप की कंपनी फ्यूचर कूपंस में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी थी। इस दौरान दोनों कंपनियों में एक समझौता हुआ था। अमेजन का कहना है कि फ्यूचर रिटेल में किसी भी तरह की बिक्री पर सबसे पहले उसका अधिकार है। अमेजन का कहना है कि फ्यूचर समूह अगस्त 2019 में हुए इस समझौते का पालन नहीं कर रहा है। वहीं, फ्यूचर ग्रुप का कहना है कि रिलायंस के साथ उसका सौदा पूरे नियमों के तहत किया गया है।