नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पाइसजेट और सन ग्रुप के प्रमुख कलानिधि मारन तथा उनकी काल एयरवेज को स्पाइसजेट के शेयरों के हस्तांतरण को लेकर उनके विवाद को एक साल के भीतर सुलझाने के लिए आर्बिट्रेशन नियुक्त करने के लिए कहा है। इसके साथ ही अदालत ने स्पाइसजेट को 12 माह में अदालत में 579 करोड़ रुपए की राशि जमा कराने का निर्देश भी दिया है।
मारन और उनकी विमानन कंपनी ने मांग है कि स्पाइसजेट की खरीद-बिक्री के 2015 के समझौते (एसपीए) के अनुसार उन्हें इस एयरलाइन के शेयर वारंट जारी किए जाएं। इसी एसपीए के आधार पर कम किराए वाली इस विमानन कंपनी के स्वामित्व का हस्तांतरण इसके सह-संस्थापक अजय सिंह को किया गया था।
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मारन और उनकी कंपनी की याचिका में आरोप लगाया कि स्पाइसजेट को करीब 579 करोड़ रुपए भुगतान करने के बावजूद विममानन कंपनी ने उन्हें शेयर वारंट या परिवर्तनीय भुनाने योग्य तरजीही शेयर की पहली और दूसरी किश्त जारी नहीं की। उनका यह भी कहना है कि उनकी ओर से दी गई राशि को स्पाइसजेट के सांविधिक बकायों के भुगतान भी नहीं किया गया जिसके कारण उनके खिलाफ मुकदमे खड़े हो गए हैं।
न्यायमूर्ति मनमोहन सिंह ने स्पाइसजेट को निर्देश दिया वह पांच किस्तों में दिल्ली उच्च न्यायालय के पंजीयक के नाम 579 करोड़ रपए के सावधि जमा कराए। इसकी पहली किस्त अगस्त में जमा करानी होगी। अदालत ने कहा है कि स्पाइसजेट के शेयर किसी तृतीय पक्ष को जारी करने या हस्तांतरित करने पर रोक का अंतरिम आदेश अभी बरकरार रहेगा। इससे पहले बाजार नियामक सेबी ने मारन और उनके काल एयरवेज के पक्ष में वारंट जारी करने के स्पाइसजेट के निदेशक मंडल द्वारा पारित प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान करने में अक्षमता जाहिर की थी। निदेशक मंडल का प्रस्ताव अदालत के निर्देश पर पारित किया गया था।
याचिकाकर्ता के दावे के अनुसार स्पाइसजेट की खरीद बिक्री के 2015 के समझौते के तहत मारन और काल एयरवेज ने कंपनी में अपने पूरे 35,04,28,758 शेयर (58.46 प्रतिशत हिस्सेदारी) अजय सिंह को हस्तांतरित की थी। उसके अनुसार मारन और काल एयर को स्पाइसजेट को 679 करोड़ रुपए का भुगतान करने के एवज में भुनाने योग्य शेयर वारंट जारी किए जाने थे। यह राशि एयरलाइन कंपनी की परिचालन लागत और उस पर बकाया कर्जों आदि के भुतान पर खर्च की जानी थी। स्पाइस जेट ने इससे पहले अदालत में कहा था कि इसके स्वामित्व में परिवर्तन इस एयरलाइन के पुनरोद्धार के लिए किया गया था ताकि इस पर 2,000 करोड़ रुपए की देनदारियों का समाधान निकाला जा सके। ये देनदारियां उस समय की थीं जब इसका प्रबंध मारन के हाथों में था। स्पाइस ने दावा किया है कि उसने एक-एक पैसे का उपयोग परिचालन खर्च और देनदारी निपटाने पर किया है।