नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा कि 300 निश्चित खुराक की दवाओं पर प्रतिबंध लगाने की जल्दबाजी क्या थी और कैसे भारतीय दवा महानियंत्रक (डीसीजीआई) की मंजूरी को पूरी तरह नजरअंदाज किया गया। न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडला ने इस बारे में संबंधित मंत्रालय से स्पष्टीकरण भी मांगा है।
कोर्ट ने कहा कि उन्होंने फार्मा कंपनियों को लाइसेंस देने से पहले निश्चित रूप से कुछ मानक प्रक्रियाओं को अपनाया होगा। सरकार के 344 निश्चित खुराक की दवाओं पर प्रतिबंध के आदेश को चुनौती देने वाली 180 से अधिक याचिकाओं की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने केंद्र सरकार के वकील से पूछा, लाइसेंस देने के दौरान आपने क्या मानक प्रक्रियाएं अपनाईं। इसे वापस लेने की जल्दबाजी क्या थी।
कोर्ट ने सरकार से पूछा: डीसीजीआई से मंजूरी मिलने के बाद आप कैसे दवाओं पर लगा सकते हैं प्रतिबंध
अदालत ने पूछा कि कैसे डीसीजीआई की मंजूरी को पूरी तरह नजरअंदाज किया गया। आपको बताना होगा इसे नजरअंदाज करने की वजह क्या थी। मंजूरी के बाद ऐसा क्यों किया गया। ऐसे में आज एक विशेषज्ञ समिति होगी, तो कल दूसरी समिति होगी। इसके जवाब में अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल संजय जैन ने कहा कि औषधि एवं कॉस्मेटिक्स कानून के तहत सरकार डीसीजीआई की मंजूरी को नजरअंदाज कर सकती है और एफडीसी या दवा पर प्रतिबंध लगा सकती है।