नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव (पीएमसी) बैंक जमाकर्ताओं के लिए निकासी की सीमा को लेकर हलफनामा दाखिल करने को दो सप्ताह का समय दिया है। इसके अलावा अदालत ने कहा है कि जमाराशि को जारी करने के आवेदनों के लिए बैंक प्रशासक को एक प्रक्रिया बनानी चाहिए। अदालत ने सुझाव दिया है कि पीएमसी बैंक के प्रशासक इसके लिए व्यवस्था बनाने को प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें जमाकर्ताओं की दिक्कतों को हल करने के लिए आवेदनों की जांच की प्रक्रिया 48 घंटे में पूरी होनी चाहिए।
न्यायमूर्ति राजीव शकधर और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की पीठ ने उपभोक्ता अधिकार कार्यकर्ता बेजोन कुमार मिश्रा की अपील पर रिजर्व बैंक से कहा है कि वह लघु वित्त बैंक (एसएफबी) स्थापित करने की समयसीमा बताए, जिसमें इस संकटग्रस्त बैंक का विलय होना है। याचिका में जमाकर्ताओं की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए आपात कोष जारी करने का आग्रह किया गया है।
रिजर्व बैंक की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता जयंत भूषण ने कहा कि एक बार एसएफबी गठित होने के बाद इस बात की संभावना है कि पीएमसी का उसमें विलय हो जाएगा। इसे जमाकर्ताओं के समक्ष आ रही ज्यादातर परेशानियों को समाधान हो जाएगा। याचिकाकर्ता के वकील शशांक देव सुधी ने कहा कि इस मामले में निश्चित समयसीमा तय होनी चाहिए क्योंकि अपना पैसा निकालने की अनुमति नहीं होने की वजह से जमाकर्ताओं को काफी परेशानी हो रही है। पीएमसी बैंक में 4,355 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आने के बाद रिजर्व बैंक ने निकासी सहित कई और अंकुश लगाए थे। इस मामले की अगली सुनवाई 27 अक्टूबर को होगी।