नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को विजय माल्या को बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के उस निर्णय के खिलाफ अपील पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया जिसमें उन्हें जानबूझकर कर कर्ज नहीं चुकाने वाला (विलफुल डिफॉल्टर) घोषित किया गया है। कोर्ट ने कहा कि वह उपयुक्त मंच पर इसे उठा सकते हैं। गौरतलब है कि एसबीआई ने किंगफिशर लोन मामले में विजय माल्या को विलफुल डिफॉल्टर घोषित कर गिरफ्तारी की मांग की है साथ ही उनका पासपोर्ट जब्त करने को कहा है। माल्या पर 17 बैंकों का 7000 करोड़ रुपए से अधिक बकाया है।
कोर्ट का सुनवाई करने से इनकार
दिल्ली हाईकोर्ट के माहौल को समझते हुए माल्या के वकील ने जस्टिस राजीव सहाय इंडला को अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति देने का अनुरोध किया। इसमें यूनाइटेड ब्रेवरीज होल्डिंग्स (यूबीएल) की याचिका भी शामिल है। यूबीएल भी माल्या की कंपनी है। कोर्ट ने माल्या के अनुरोध को स्वीकार कर लिया और उन्हें अगर कानून के तहत कोई व्यवस्था है तो उसके लिए उपयुक्त अदालत में जाने की इजाजत दे दी। माल्या ने इस आधार पर दिल्ली उच्च न्यायालय में अर्जी दायर की थी कि वह दिल्ली में रहते हैं और राज्यसभा सदस्य भी हैं और उन्हें सभी पत्र यहीं मिले हैं।
माल्या ने कहा अवैध है एसबीआई का फैसला
अपनी याचिका में माल्या ने आरोप लगाया कि एसबीआई की शिकायत निपटान प्रणाली ने 31 अक्टूबर 2015 को निर्णय किया और उससे पहले इस संबंध में 29 अक्टूबर को हुई सुनवाई में उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया। निर्णय में उन्हें और यूबीएचएल को जानबूझकर कर्ज नहीं देने वाला घोषित किया गया। माल्या के अनुसार यह अवैध था।