नई दिल्ली। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाली रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) ने शनिवार को 46,000 करोड़ रुपए के रक्षा उपकरणों की खरीद को अपनी मंजूरी दे दी है। इसमें जल सेना के लिए नेवल यूटीलिटी और एंटी-सबमरीन क्षमता वाले हेलीकॉप्टर और थल सेना के लिए एडवांस्ड टॉ आर्टिलरी गन सिस्टम शामिल हैं।
डीएसी ने जल सेना के लिए 21,000 करोड़ रुपए की लागत से 111 यूटीलिटी हेलीकॉप्टर खरीदने को भी मंजूरी दी है। ये हेलीकॉप्टर युद्धकजहाज पर सामग्री और सेना को पहुंचाने के काम के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह पहला प्रोजेक्ट है जिसे एमओडी स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप (एसपी) मॉडल के तहत मंजूरी दी गई है, इसका उद्देश्य विदेशी विनिर्माता के साथ मिलकर भारतीय रणनीतिक भागीदार द्वारा प्रमुख रक्षा उपकरणों के स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा देना है। यह मॉडल भारत को रक्षा उपकरणों के विनिर्माण के हब के रूप में प्रचारित करेगा, औद्योगिक और आरएंडी ईकोसिस्टम की स्थापना करेगा और भविष्य की रक्षा जरूरतों को पूरा करने में सक्षम बनाएगा।
डीएसी ने 24 एंटी-सबमरीन क्षमता वाले 24 मल्टी-रोल हेल्टीकॉप्टर की खरीद को भी मंजूरी दी है। रक्षा मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि इन हेलीकॉप्टर के आने से जल सेना की मौजूदा कमी को पूरा किया जा सकेगा।
एंटी-सबमरीन युद्ध में यह हेलीकॉप्टर युद्ध क्षेत्र से दूर रहकर अपने सोनार को गहरे पानी में ले जाते हैं, शत्रु की सबमरीन का पता लगाते हैं और उन पर हमला कर सेना के लिए रास्ता साफ करते हैं। इन हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किसी भी भूमिका के लिए किया जा सकता है और यह जल सेवा के आंख व कान की तरह काम करेंगे।
डीएसी ने 24,879 करोड़ रुपए के अन्य प्रस्तावों को भी मंजूरी दी है। इनमें स्वदेशी रूप से तैयार और विकसित 150 155एमएम एडवांस्ड टॉ आर्टिलरी गन सिस्टम शामिल है, जिसकी लागत 3,364 करोड़ रुपए है। 14 वर्टीकली लॉन्च शॉर्ट रेंज मिसाइल सिस्टम की खरीद को भी मंजूरी दी गई है।