नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बैंकिंग नियमन कानून में संशोधन संबंधी अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही सरकार ने रिजर्व बैंक को बैड लोन (फंसे कर्ज) की वसूली के लिए बैंकों को जरूरी कारवाई शुरू करने संबंधी निर्देश देने के व्यापक अधिकार दे दिए हैं।
आरबीआई को मिली नई शक्तियां
- इसके जरिये रिजर्व बैंक को दबाव वाली संपत्तियों के मामले में दिवाला एवं शोधन प्रक्रियाएं शुरू करने का अधिकार दिया गया है।
- कुछ दबाव वाली संपत्तियों की सूची पहले ही रिजर्व बैंक के पास है और अब वह इन मामलों में कार्रवाई को आगे बढ़ाएगा।
- संपत्तियों की बिक्री, गैर लाभ वाली शाखाओं को बंद करना, अतिरिक्त खर्चों में कटौती, कारोबार के पुनरोद्धार की पहल इन संशोधनों का हिस्सा है।
- संशोधनों से बैंकों के वाणिज्यिक निर्णय लेने की रफ्तार बढ़ेगी, यथार्थवादी कारोबारी फैसले लेने वाले बैंकरों का संरक्षण होगा
- अध्यादेश के जरिये रिजर्व बैंक को यह भी अधिकार दिया गया है कि वह बैंकों को फंसी परिसंपत्तियों के मामले के समाधान के लिए निर्देश जारी कर सके।
- अध्यादेश में रिजर्व बैंक को दबाव वाले विभिन्न क्षेत्रों की निगरानी के लिए समिति गठित करने का भी अधिकार दिया गया है। इससे बैंकरों को जांच एजेंसियां, जो कि ऋण पुनर्गठन के मामलों को देख रही है, उनसे सुरक्षा मिल सकेगी।
- बैंक एनपीए मामलों के समाधान की पहल करने में हिचकिचाते रहे हैं।
- निपटान योजना के जरिये एनपीए का निपटान करने अथवा फंसे कर्ज को संपत्ति पुनर्गठन कंपनियों को बेचने की पहल करने में बैंक अधिकारियों को तीन-सी का डर सताता है। ये तीन सी- सीबीआई, सीएजी और सीवीसी हैं।
रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा एनपीए
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एनपीए उनके कुल ऋण के 17 प्रतिशत तक पहुंच गया है। यह विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में एनपीए का उच्चतम स्तर है। अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में यह 8.4 प्रतिशत तक है। बैंकिंग नियमन कानून में संशोधन के लिए अध्यादेश लाने पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि रिजर्व बैंक को दबाव वाली संपत्तियों के संदर्भ में सशक्त करने की जरूरत है।