नई दिल्ली। देश के मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की इकोनॉमिक हेल्थ का इंडीकेटर माने जाने वाले पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) दिसंबर में घटकर 49.6 अंक रह गया, जो कि इससे पहले नवंबर में 52.3 अंक था। पूरे 2016 में यह मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की सबसे धीमी ग्रोथ रही है। नोटबंदी के चलते नकदी की समस्या के कारण मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधियों पर बुरा असर पड़ा है और दिसंबर में इसका उत्पादन संकुचित हुआ है।
निक्की मार्किट इंडिया मैन्यूफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स सूचकांक (पीएमआई) की आज जारी रिपोर्ट के अनुसार दिसंबर में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर का सूचकांक 49.6 रहा, जबकि नवंबर में यह 52.3 था।
- सूचकांक का 50 से ऊपर होना आर्थिक गतिविधियों में तेजी और इससे नीचे होना संकुचन का प्रतीक है।
- दिसंबर 2015 के बाद पहली बार भारत के मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर का पीएमआई 50 से नीचे आया है।
- आईएचएस मार्किट की अर्थशास्त्री और इस सर्वेक्षण रिपोर्ट की लेखिका पॉलीयाना डी लीमा ने कहा,
- नवंबर में मजबूत बने रहने के बाद भारत का मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर 2016 के अंत में संकुचित हो गया।
- नवंबर में सरकार ने 500 और 1000 रुपए के पुराने नोटों को चलन से बाहर करने का अप्रत्याशित फैसला किया था।
- फर्मों के पास नकदी की तंगी के चलते खरीदारी और रोजगार पर भी असर हुआ।
- दिसंबर में संकुचन के बावजूद अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में कुल मिलाकर मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर का योगदान सकारात्मक रहा है।