नई दिल्ली: मोदी सरकार द्वारा पशुपालन और डेयरी सेक्टर को बढ़ावा देने मकसद से मिशन मोड में लागू की गई योजनाओं और कार्यक्रमों से देश में दूध, अंडे व गोश्त के उत्पादन में आकर्षक वृद्धि दर्ज की गई है। केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि डेयरी सेक्टर की सक्सेस स्टोरी को प्रधानमंत्री फसल उत्पादक किसानों के लिए लागू करना चाहते हैं। केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी सचिव अतुल चतुर्वेदी ने कहा कि डेयरी सेक्टर में बीते पांच साल में सालाना छह फीसदी से ज्यादा की वृद्धि रही है और डेयरी के अलावा लाइवस्टॉक में आठ फीसदी से ज्यादा सालाना वृद्धि हो रही है, जोकि कृषि से कई गुना ज्यादा है।
उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में तेज वृद्धि के मार्ग में अड़चनों को दूर करने के लिए सरकार रिफॉर्म कर रही है और नये कृषि कानून इसी दिशा में बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि डेयरी से जुड़े किसानों पर उनके उत्पाद को बेचने पर कोई बंधन नहीं है, क्योंकि उन पर कोई मंडी कानून लागू नहीं होता है। चतुवेर्दी ने कहा, "इसी डेयरी की सक्सेस स्टोरी को फसल उत्पादक किसानों के लिए लागू करने के लिए ही कृषि सुधार कानून लाए गए हैं ताकि उनको अपने उत्पाद बचाने की आजादी मिले।" देश में दूध के उत्पादन में बीते छह साल में 44 फीसदी का इजाफा हुआ है, जबकि अंडों के उत्पादन में 53 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई।
केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी सचिव अतुल चतुर्वेदी ने आईएएनएस को दिए एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि बीते छह साल के दौरान डेयरी और पशुपालन के क्षेत्र की वृद्धि दर आकर्षक रही है और किसानों को इसका भरपूर लाभ मिला है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के बीते छह साल के कार्यकाल में डेयरी व पशुपालन सेक्टर के रिपोर्ट कार्ड पर गौर करें तो 2013-14 में देश में जहां दूध का उत्पादन 13.7 करोड़ टन था, वहां 2019-20 में बढ़कर करीब 20 करोड़ टन हो गया। इसी प्रकार, 2013-14 में जहां 74.75 अरब अंडों का उत्पादन हो रहा था, वहां 2019-20 में 114.38 अरब उत्पादन हो रहा है।
भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएएस) के वरिष्ठ अधिकारी चतुर्वेदी ने कहा कि राजग सरकार के कार्यकाल दूध के उत्पादन में 44 फीसदी की वृद्धि, अंडों के उत्पादन में 53 फीसदी की वृद्धि और मीट के उत्पादन में 38 फीसदी का इजाफा होना यह दर्शाता है कि सरकार ने जो इंसेंटिव दिए हैं वो सही जगह गए हैं, इसलिए पशुपालन और डेयरी सेक्टर में आकर्षक वृद्धि हुई है। उन्होंने बताया कि देश में 2014 से पहले दूध उत्पादन की सालाना वृद्धि दर जो 4.15 फीसदी थी, वह 2019-20 में बढ़कर 6.28 फीसदी हो गई और दूध के दाम में भी वृद्धि दर्ज की गई, जिससे किसानों की आय में बढ़ोतरी हुई। पशुपालन सचिव ने बताया कि 2014 से पहले किसानों का औसतन जहां एक लीटर दूध का दाम 30.58 रुपये मिलता था, वहां 2018-19 में 34.12 रुपये प्रति लीटर मिलने लगा और इस समय तो दूध के दाम में और इजाफा हुआ है।
उन्होंने कहा कि कोरोना काल में जब होटल, रेस्तरां, कैंटीन में दूध की मांग प्रभावित होने से दूध की खपत घट गई थी। उस समय भी सहकारी संगठन किसानों से दूध खरीदकर मिल्क पॉउडर बनाने लगे जिससे किसानों पर कोई असर नहीं पड़ा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने 2014 में ही डेयरी सेक्टर और ब्रीड इंप्रूवमेंट यानी नस्ल सुधार में आत्मनिर्भरता की बात शुरू कर दी थी जब राष्ट्रीय गोकुल मिशन कार्यक्रम शुरू किया गया था। देश में दूसरी श्वेत क्रांति लाने के मकसद से 2014 को मोदी सरकार ने राष्ट्रीय गोकुल मिशन की शुरूआत की थी, जिसके तहत पशुओं की नस्ल में सुधार पर जोर देकर देसी नस्ल के दुधारू पशुओं को बढ़ावा दिया गया। उन्होंने बताया कि इसी प्रकार, पशुओं में होने वाली बीमारियों की रोकथाम के लिए शुरू किए गए कार्यक्रमों के भी अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं।