नई दिल्ली। भारत की ई-कामर्स कंपनियों को अगले एक से दो साल में कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिलेगी। यह बात प्रमुख प्रौद्योगिकी निवेशक टी वी मोहनदास पई ने कही। इसके साथ ही पई ने कहा कि अगर इन कंपनियों ने व्यापार का कोई टिकाऊ मॉडल विकसित नहीं किया तो कई बड़े ब्रांडों सहित अनेक कंपनियां बंद हो सकती हैं। इंफोसिस के पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी पई ने कहा, उन्हें एक ऐसा टिकाऊ मॉडल विकसित करना होगा, जहां कारोबार बढ़ता रहे क्योंकि वे उचित कीमतों पर बेहतर उत्पाद उपलब्ध करा रहे हैं।
उन्होंने कहा, अगले एक दो साल तक, ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए बहुत कड़ी प्रतिस्पर्धा होगी। हम कुछ लोगों को गिरते हुए देखेंगे। यहां तक कि बड़ी कंपनियां भी बंद हो सकती हैं। यह इस बात पर निर्भर करता है कि अपना धन गंवाकर उनका वित्तपोषण कौन करता है। ई-कॉमर्स कंपनियों को लागत में कमी करनी होगी, खुद को प्रभावी बनाना होगा तथा धन का दीर्घकालिक इस्तेमाल करना होगा तथा कारोबार का टिकाऊ मॉडल बनाना होगा। देश में स्टार्टअप परिदृश्य के बारे में उन्होंने कहा कि पिछले साल के उत्साह के बाद स्टार्टअप के लिए धन जुटाना कठिन हो गया है।
डाबर भी उतरी ऑनलाइन बाजार में
घरेलू एफएमसीजी क्षेत्र की कंपनी डाबर देश के ई-कॉमर्स क्षेत्र में तेजी से पैर पसारने की तैयारी में है। कंपनी का इरादा तेजी से बढ़ते इस क्षेत्र की क्षमता का दोहन करने का है। कंपनी न्यूयू के माध्यम से ऑनलाइन कॉस्मेटिक्स तथा सौंदर्य उत्पाद बाजार में उतरी है। इसका संचालन उसकी पूर्ण स्वामित्व वाली इकाई एचएंडबी स्टोर्स द्वारा किया जाता है। इसके अलावा कंपनी एक अन्य मंच डाबरयूवेदा.कॉम पर भी काम कर रही है, जिससे ई-कॉमर्स क्षेत्र में उपस्थिति बढ़ा सके।
डाबर इंडिया के मुख्य वित्त अधिकारी ललित मलिक ने कहा, हम देख रहे हैं कि ई-कॉमर्स क्षेत्र तेजी से विस्तार करेगा। इसकी वजह प्रौद्योगिकी विकास तथा मोबाइल फोन की पहुंच बढ़ना है। ई-कॉमर्स क्षेत्र में काफी बड़ा अवसर उपलब्ध होगा। हमारा मानना है कि मध्यम तथा दीर्घावधि परिदृश्य में यह और विस्तार करेगा। इस क्षेत्र में डाबर की गतिविधियों के बारे में मलिक ने कहा, फिलहाल ऑनलाइन बिक्री का योगदान काफी छोटा है। हमारे पास पहले से न्यूयू चैनल है। इसके अलावा हम नए प्लेटफॉर्म डाबरयूवेदा.कॉम पर भी काम कर रहे हैं।
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