नई दिल्ली। टाटा संस और साइरस मिस्त्री विवाद के बीच मिस्त्री का बड़ा बयान सामने आया है। एनसीएलएटी के हालिया फैसले के बाद साइरस मिस्त्री ने कहा कि टाटा समूह में किसी भी भूमिका में लौटने में उनकी कोई रुचि नहीं है। मिस्त्री ने कहा कि उन्होंने कंपनी संचालन में हमेशा सर्वश्रेष्ठ मानदंडों को कायम रखने पर ध्यान दिया। मिस्त्री ने कहा 'किसी व्यक्ति विशेष या मेरे खुद के हितों से कहीं अधिक टाटा समूह के हित महत्वपूर्ण हैं।'
मिस्त्री ने यह बयान ऐसे समय जारी किया है जब उच्चतम न्यायालय टाटा समूह के साथ उनके विवाद पर सुनवाई करने वाली है। मिस्त्री को टाटा समूह के चेयरमैन तथा समूह की कंपनियों के निदेशक मंडलों से निकाल दिया गया था। राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने हाल ही में मिस्त्री को पुन: इन पदों पर नियुक्त करने का फैसला सुनाया था। एनसीएलएटी के फैसले को टाटा संस तथा समूह की कंपनियों ने उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है।
मिस्त्री ने कहा, 'जारी दुष्प्रचार को खत्म करते हुए मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि एनसीएलएटी का निर्णय मेरे पक्ष में आने के बाद भी मैं टाटा संस के कार्यकारी चेयरमैन तथा टीसीएस, टाटा टेलीसर्विसेज और टाटा इंडस्ट्रीज के निदेशक का पद नहीं संभालना चाहता हूं। हालांकि, मैं अल्पांश शेयरधारक के नाते अपने अधिकारों की रक्षा करने और निदेशक मंडल में स्थान पाने के लिये सभी विकल्पों के साथ पुरजोर कोशिश करूंगा।'
बता दें कि एनसीएलएटी के 18 दिसंबर को अपने फैसले में साइरस मिस्त्री को फिर से टाटा संस के कार्यकारी चेयरमैन पद पर बिठाने को कहा गया था। इस फैसले में एन. चंद्रशेखरन को टाटा संस के चेयरमैन पद पर नियुक्त करने को भी अवैध बताया गया। गौरतलब है कि टाटा संस नमक से लेकर सॉफ्टवेयर बनाने वाले समूचे टाटा समूह की कंपनियों की होल्डिंग कंपनी है।
टाटा समूह ने राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के फैसले पर रोक लगाने की मांग की है। अपीलीय न्यायाधिकरण ने अपने आदेश में कार्यकारी चेयरमैन पद पर एन. चंद्रशेखरन की नियुक्ति को 'अवैध' ठहराया था। मामले से जुड़े एक वकील ने कहा, 'हमने एनसीएलएटी के फैसले को पूर्ण रूप से चुनौती दी है।' याचिका में शीर्ष न्यायालय से अपीलीय न्यायाधिकरण के निष्कर्षों को खारिज करने या रद्द करने की मांग की गई है। अपीलीय न्यायाधिकरण ने माना था कि समूह के मानद चेयरमैन रतन टाटा की मिस्त्री के खिलाफ कार्रवाई उत्पीड़नकारी थी।
टाटा और मिस्त्री के टकराव बढ़ने के बाद बीते शुक्रवार को टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। उन्होंने साइरस मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद पर बहाल करने के एनसीएलएटी के फैसले को चुनौती दी है। रतन टाटा ने आरोप लगाया कि टाटा संस के चेयरमैन बनने के बाद भी हितों के टकराव की वजह से मिस्त्री अपने को परिवार के व्यवसाय से अलग नहीं करना चाहते थे। टाटा संस द्वारा राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के 18 दिसंबर 2019 के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती देने के एक दिन बाद टाटा संस के पूर्व प्रमुख सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। इधर टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) ने भी एनसीएलटी के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें उसने साइरस पालोनजी मिस्त्री को कंपनी के निदेशक के रूप में फिर से बहाल करने का आदेश दिया था। शेयर बाजारों को भेजी सूचना में टीसीएस ने कहा है कि कंपनी ने कानूनी राय के आधार पर 3 जनवरी 2020 को सुप्रीम कोर्ट में अपील दर्ज की है।
बता दें कि साइरस मिस्त्री को टाटा संस और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के चेयरमैन और निदेशक पद से बर्खास्त कर दिया गया था। इसके बाद से टाटा संस और साइरस मिस्त्री कानूनी जंग शुरू हो गई है। मामला एनसीएलटी में था, जिसमें एनसीएलएटी ने अपने फैसले में कहा था कि साइरस की बहाली का आदेश 4 हफ्ते बाद प्रभावी होगा और टाटा समूह चाहे तो इस अवधि में सुप्रीम कोर्ट में फैसले के खिलाफ अपील कर सकता है। अपीलीय न्यायाधिकरण ने टाटा संस को पब्लिक फर्म से बदलकर प्राइवेट फर्म बनाने की कार्रवाई को भी रद्द कर दिया। एनसीएलएटी ने टाटा संस को मिस्त्री के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने का भी निर्देश दिया है। मिस्त्री परिवार के पास टाटा संस में 18 प्रतिशत हिस्सेदारी है, शेष 81 प्रतिशत हिस्सेदारी टाटा ट्रस्ट और टाटा समूह की कंपनियों के साथ टाटा परिवार के सदस्यों के पास है।