मुंबई। टाटा समूह की छह सूचीबद्ध कंपनियों के निदेशक मंडल से इस्तीफा देने के एक दिन बाद साइरस पी मिस्त्री ने मंगलवार को टाटा संस के खिलाफ लड़ाई में कानूनी रास्ता अपना लिया। उन्होंने टाटा संस के खिलाफ कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में मुकदमा दायर किया है। टाटा संस ने कहा कि वह नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में साइरस मिस्त्री की तरफ से दायर मुकदमा में लगाए गए आरोपों का जवाब देगी।
- सूत्रों के अनुसार मिस्त्री परिवार द्वारा नियंत्रित निवेश कंपनियों ने टाटा संस के खिलाफ मुंबई में एनसीएलटी का दरवाजा खटखटाया है।
- उसने कहा कि याचिका टाटा संस के उत्पीड़न और कुप्रबंधन के खिलाफ कंपनी कानून की धारा 241 के तहत दायर की गई है।
- एनसीएलटी मामले में पहली सुनवाई 22 दिसंबर को करेगा।
- टाटा समूह की कंपनियों के निदेशक मंडल से इस्तीफा देने के बाद मिस्त्री ने रतन टाटा की निंदा की और लड़ाई को बड़े मंच पर ले जाने का संकल्प जताया था।
- मिस्त्री ने टाटा की पांच कंपनियों इंडियन होटल्स, टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, टाटा पावर तथा टाटा केमिकल्स के निदेशक मंडल से उन्हें हटाए जाने के प्रस्ताव पर कंपनियों की असाधारण आम बैठक से पहले इस्तीफा दे दिया।
टाटा समूह के चेयरमैन पद से हटाए गए साइरस मिस्त्री ने रतन टाटा के साथ किसी समझौते या संधि की संभावना को खारिज किया है। मिस्त्री के अनुसार उनकी लड़ाई 103 अरब डॉलर के टाटा समूह के साथ संचालन के बड़े मुद्दे को लेकर है और वे इसे समूह में अपने परिवार की 18.5 प्रतिशत हिस्सेदारी को छोड़े बिना ही लड़ेंगे।
- मिस्त्री ने कहा, मैं इसके लिए लड़ूंगा। मैं इसके लिए लड़ा हूं, हम 50 साल से यहां हैं कोई एक दिन या दो दिन से नहीं।
- उन्होंने कहा, यह किसी कारोबारी समूह की लड़ाई नहीं है। यह वैसी चीज नहीं है।
- अगर ऐसी बात होती तो मैं पद पर बना रहता। इसलिए मैं पद से हटा हूं क्योंकि मैं यह कोई पद या ताकत के लिए नहीं कर रहा हूं।
- अगर वे अदालतों में लड़ाई हार जाते हैं तो क्या उनका परिवार टाटा संस में अपनी हिस्सेदारी बेचेगा, यह पूछे जाने पर उनका जवाब नकारात्मक रहा।