मुंबई। टाटा ग्रुप के अंतरिम चेयरमैन रतन टाटा पर फिर हमला बोलते हुए समूह से हटाए गए चेयरमैन साइरस मिस्त्री ने उन आरोपों को खारिज कर दिया कि उन्होंने समूह की दुधारू गाय मानी जाने वाली कंपनियों टीसीएस और जेएलआर में कोई योगदान नहीं दिया।
इसके उलट मिस्त्री ने समूह के प्रमुख रतन टाटा पर आरोप लगाया कि उन्होंने आईटी कंपनी को आईबीएम को बेचने का प्रयास किया था। उन्होंने कहा कि रतन टाटा ने अपने अहम् में कोरस जैसे खराब कारोबारी फैसले लिए। कोरस का अधिग्रहण मूल लागत से दोगुने दाम पर किया गया।
मिस्त्री के कार्यालय से जारी पांच पृष्ठ के पत्र में कहा गया है कि इस मामले को सीधा करना जरूरी है क्योंकि आक्षेप और लीक सिर्फ यह भ्रम पैदा करने के लिए की जा रही है कि मिस्त्री अपने को दूर रखने वाले चेयरमैन थे और टीसीएस-जेएलआर उनके नेतृत्व में खुद से आगे बढ़ रही थीं।
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- पत्र में मिस्त्री द्वारा दोनों कंपनियों के कार्यकारी चेयरमैन के रूप में किए गए प्रयासों का जिक्र किया गया है, जिसकी वजह से इन कंपनियों ने समूह के मुनाफे में 90 प्रतिशत का योगदान दिया।
- पत्र में इसका जिक्र किया गया है कि नमक से सॉफ्टवेयर क्षेत्र का समूह इस शानदार प्रदर्शन का श्रेय लेने में व्यस्त है।
- पत्र में कहा गया है कि रतन टाटा ने एक बार समूह की नगीना कंपनी टीसीएस को वैश्विक दिग्गज कंपनी आईबीएम को बेचने का प्रयास किया था।
- इसमें कहा गया है कि तत्कालीन प्रमुख एफसी कोहली की बीमारी की वजह से जेआरडी टाटा, रतन टाटा के प्रस्ताव को आगे नहीं बढ़ा पाए थे।
- मिस्त्री ने कहा है कि रतन टाटा, टाटा इंडस्ट्रीज के आईबीएम के साथ संयुक्त उद्यम की अगुवाई कर रहे थे। उन्होंने टीसीएस को आईबीएम को बेचने के लिए जेआरडी टाटा से संपर्क किया था।
- जेआरडी ने इस सौदे पर विचार करने से मना कर दिया था क्योंेकि कोहली उस समय अस्पताल में थे।
- मिस्त्री के कार्यालय द्वारा जारी स्पष्टीकरण के क्रम में यह तीसरा पत्र है। इसमें आरोप लगाया गया है कि रतन टाटा ने अहम में खराब कारोबारी फैसले लिए।
- ब्रिटेन की इस्पात कंपनी कोरस का अधिग्रहण ऐसा ही फैसला है। इसके अलावा अपने दूरसंचार कारोबार के लिए सीडीएमए प्रौद्योगिकी पर ही टिके रहे जिससे हजारों नौकरियां संकट में पड़ गईं।