नई दिल्ली। द्वीपीय देश साइप्रस का कहना है कि भारत के साथ द्विपक्षीय कर-संधि की समीक्षा बहुत जल्द होगी और उसने पूंजी लाभ पर कर के संबंध में भारत की ओर से रखे गए गए प्रस्ताव को उसने सैद्धांतिक रूप से स्वीकार कर लिया है। यह मौजूदा व्यवस्था में सुधार के प्रयासों की दिशा में एक प्रगति माना जा रहा है। साइप्रस भी भारत में विदेशी निवेश कोष का एक बड़ा स्रोत रहा है।
साइप्रस का कहना है कि भारत के बढते महत्व को देखते हुए उसके साथ द्विपक्षीय संबंधों की गहरी समीक्षा और उसको उन्नत बनाने की आवश्यकता समक्षी गयी है। उसने भारत सबसे बड़ी उभरती अर्थव्यवस्था है और नयी भूराजनैतिक शतरंज की बिसात पर सुरक्षा मामलों में एक बड़ी भूमिका वाला देश है बताया है। अवैध कोष के प्रवाह को रोकने के लिए भारत सरकार कई देशों के साथ कर-संधियों की समीक्षा कर रही है और इसमें सिंगापुर एवं साइप्रस जैसे देश शामिल हैं।
हाल में मारीशस के साथ भारत की चर्चित कर संधि की बहु प्रतीक्षित समीक्षा सम्पन्न हुई है। साइप्रस ने कहा कि भारत और साइप्रस दोहरे कराधान से बचाव की संधि की समीक्षा पूरी करने वाले है। साइप्रस के अधिकारी ने संशोधित समझौते को अंतिम रूप देने पर भारत के अधिकारियों के साथ सहमति जताई है। दोनों पक्षों की अंतिम स्वीकृति के बाद नया समझौता हस्ताक्षरण और अमल के लिए रखा जाएगा।
भारत के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पिछले महीने उम्मीद जताई थी कि मारीशस की तर्ज पर साइप्रस के साथ कर संधि की भी समीक्षा इस साल के अंत तक हो जाने की उम्मीद है। 2000 से 2016 तक साइप्रस के रास्ते देश में 42680 करोड़ से अधिक का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आया है।
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