नई दिल्ली। वॉलमार्ट द्वारा भारत में करोड़ों डॉलर की रिश्वत देने के आरोपों की जांच अब केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) करेगा। आयोग ने वॉलमार्ट के कंट्री हेड को इस संबंध में समन भी जारी किया है। वॉलमार्ट पर आरोप है कि उसने कस्टम क्लियरेंस और भारत में स्टोर स्थापित करने के लिए मंजूरी हासिल करने हेतु सरकारी अधिकारियों को छोटी-छोटी राशि के रूप में करोड़ों डॉलर की रिश्वत दी है। उल्लेखनीय है कि वॉलमार्ट ने 2007 में भारती एंटरप्राइजेज के साथ ज्वाइंट वेंचर में भारत में प्रवेश किया था। इसके बाद 2013 में वॉलमार्ट ने भारती एंटरप्राइजेज का साथ छोड़कर अकेले ही थोक कैश एंड कैरी स्टोर चलाने का फैसला किया। भारत में यह बेस्ट प्राइस ब्रांड नाम से अपना ऑपरेशन चलाती है।
मीडिया रिपोर्ट के आधार पर सीवीसी द्वारा स्वयं जांच शुरू करने का यह पहला मामला है। सीवीसी ने अपनी जांच में कंपनी के कुछ दस्तावेज भी जांचे हैं। सतर्कता आयुक्त टीएम भसीन ने कहा कि जांच में पाया गया है कि वॉलमार्ट ने भारत में सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दी है। उन्होंने बताया कि इस मामले में आयोग ने स्वत: संज्ञान लिया है और इस मामले में वॉलमार्ट के कंट्री हेड को समन भी जारी किया गया है। वॉलमार्ट को 15 नवंबर तक अपना पक्ष रखने के लिए कहा गया है। यह पहली बार है कि केंद्रीय सतर्कता आयोग ने किसी प्राइवेट कंपनी के खिलाफ जांच शुरू की है।
वॉलस्ट्रीट जनरल में छपी रिपोर्ट के मुताबिक वॉलमार्ट ने भारत में सरकारी अधिकारियों को 200 डॉलर से भी कम राशि का भुगतान कई बार किया है। कंपनी ने कई बार तो पांच डॉलर तक की भी रिश्वत दी है। इस तरह हुए छोटे-छोटे भुगतान की कुल राशि करोड़ों डॉलर में पहुंच चुकी है। वॉलमार्ट को इस तरह के भुगतान के लिए यूएस फॉरेन करप्ट प्रेक्टिस एक्ट के अधीन कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।