नयी दिल्ली। मुख्य आर्थिक सलाहकार के.वी. सुब्रमण्यम ने शुक्रवार को कहा कि अर्थव्यवस्था में निवेश और वृद्धि की गति बढ़ाने के लिये कंपनी कर में कटौती की आवश्यकता थी। उन्होंने यह भी कहा कि अर्थव्यवस्था में वृद्धि को गति देनेवाल अनुकूल चक्र पिछली कुछ तिमाहियों से अपेक्षित ढंग से नहीं चल पा रहा है। सुब्रमण्यम ने यहां स्कॉच के कार्यक्रम 'भारत आर्थिक मंच' में कहा कि यदि भारत को 2024-25 तक पांच हजार अरब डॉलर और 2030 तक दस हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना है तो बुनियादी सुधारों की गति बढ़ानी होगी।
उन्होंने इसके साथ ही निवेशकों से इस दिशा में सरकार द्वारा हाल में उठाए गए तमाम उपायों की व्याख्या की। सुब्रमण्यम ने कहा कि जुलाई में जारी किए गए सर्वेक्षण में भारत को 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिये आवश्यक रणनीतिक कदमों की जानकारी दी गई है। इसमें निवेश को प्रमुख उपाय माना गया है। इसके साथ ही खपत बढ़ाने पर भी इसमें जोर दिया गया है। खपत बढ़ने से निवेश के इसके गुणात्मक प्रभाव होंगे। उन्होंने कहा, 'अर्थव्यवस्था में उत्पादकता बढ़ाने के लिए निवेश महत्वपूर्ण है। उत्पादकता बढ़ने से अंतत: वेतन बढ़ता है, रोजगार सृजन होता है, निर्यात बढ़ता है और इन सबके मिलने से उपभोक्ता की खरीद शक्ति बढ़ती है और इसी मांग की जरूरत अर्थव्यवस्था को है।'
सुब्रमण्यम ने कहा, 'कंपनियां मांग बढने की उम्मीद में निवेश बढ़ती है और उससे वृद्धि के अनुकूल चक्र बढ़ता है। पिछली कुछ तिमाहियों से यह चक्र उतनी तेजी से नहीं बढ़ पा रहा है जितना यह सात प्रतिशत से अधिक आर्थिक वृद्धि के समय बढ़ रहा था। कंपनियों के लिए कर गतिशीलता के बारे में सुब्रमण्यम ने कहा कि सबसे पहले कंपनी कर किसी कंपनी द्वारा दिया जाता है। उसके बाद पूंजी प्राप्ति और लाभांश के रूप में जो कुछ बचता है उसपर व्यक्तिगत रूप से बाद में कर लगता है। सुब्रमण्यम ने कहा कि इस मामले में पहचान की जो सबसे महत्वपूर्ण चीज है वह दोहरा कराधान है। यही वजह है कि सरकार ने आगे कदम बढ़ाते हुये कंपनी कर की दरों में कटौती की है।
गौरतलब है कि सरकार ने आर्थिक सुस्ती को नियंत्रित करने के लिये कई उपाय किए हैं। मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) सुब्रमण्यम ने कहा कि सरकार ने निवेश बढ़ाने के लिए कॉरपोरेट टैक्स में कटौती की है। सितंबर में एक अहम कदम उठाते हुए सरकार ने कंपनी कर (कॉरपोरेट टैक्स) की दर को 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत कर दिया। देश में नया निवेश आकर्षित करने के उद्देश्य से सरकार ने विनिर्माण क्षेत्र में उतरने वाली कंपनियों से 15 प्रतिशत की दर से ही कर लिया जाएगा। आर्थिक सलाहकार ने सरकार के अन्य कदमों के बारे में भी जानकारी दी। इनमें आईबीसी संहिता, श्रम कानूनों के क्षेत्र में किए गए बदलाव और हाल में सेबी द्वारा उठाए गए कदम प्रमुख है। भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2019- 20 की पहली तिमाही में पांच प्रतिशत रही, पिछले छह साल में यह सबसे कम वृद्धि रही है।