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Unhealthy Practices: हेल्‍थ इंश्‍योरेंस कंपनियों से खुश नहीं हैं इंडियन कंज्‍यूमर, पिछले साल और बढ़ी शिकायतें

हेल्‍थ इंश्‍योरेंस कंपनियों के खिलाफ शिकायतों का अंबार बढ़ता ही जा रहा है। वित्त वर्ष 2014-15 में शिकायतों की संख्या 25,600 पर पहुंच गईं।

Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Updated : January 11, 2016 11:11 IST
Unhealthy Practices: हेल्‍थ इंश्‍योरेंस कंपनियों से खुश नहीं हैं इंडियन कंज्‍यूमर, पिछले साल और बढ़ी शिकायतें
Unhealthy Practices: हेल्‍थ इंश्‍योरेंस कंपनियों से खुश नहीं हैं इंडियन कंज्‍यूमर, पिछले साल और बढ़ी शिकायतें

मुंबई। हेल्‍थ इंश्‍योरेंस कंपनियों के खिलाफ शिकायतों का अंबार बढ़ता ही जा रहा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2014-15 में इंश्‍योरेंस कंपनियों के खिलाफ शिकायतों की संख्या पिछले वित्त वर्ष की तुलना में दो प्रतिशत बढ़कर 25,600 पर पहुंच गईं। उल्‍लेखनीय है कि 87,000 करोड़ रुपए के गैर जीवन बीमा उद्योग में यह दूसरा सबसे बड़ा पोर्टफोलियो है।

44 फीसदी मामले क्‍लेम से संबंधित

साधारण बीमा परिषद के आंकड़ों के अनुसार 2014-15 में दर्ज 11,000 या 44 प्रतिशत शिकायतें दावों के निपटान यानि कि क्‍लेम से संबंधित थीं। यह आंकड़ा 2013-14 में 10,000 का था। गैर जीवन बीमा कारोबार में हेल्‍थ सेक्‍टर का हिस्सा करीब 25 प्रतिशत है।  पालिसी के मामले में 2014-15 में 7,000 या 29 प्रतिशत शिकायतें दर्ज हुईं। एक साल पहले यह आंकड़ा 6,000 या 26 प्रतिशत का था।

जानकारी के अभाव में बढ़ी शिकायतें

हालांकि, उद्योग जगत का मानना है कि शिकायतों की संख्या में बढ़ोतरी की मुख्य वजह यह है कि उपभोक्ताओं में पालिसी के बारे में समझ की कमी है। साधारण बीमा परिषद के महासचिव आर चंद्रशेखरन ने कहा, स्वास्थ्य बीमा क्षेत्र में शिकायतों की संख्या में बढ़ोतरी की मुख्य वजह यह है कि उपभोक्ताओं को उनके द्वारा बीमित पालिसी के बारे में समुचित जानकारी नहीं होती। सबसे प्रमुख बात यह है कि उपभोक्ता रूम के किराये के लिए भी कवर मांगते हैं, जो पालिसी में कवर नहीं होता।

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